सरताज
चल पड़ा है कारवाँ मंजिल की ओर
पकडे रहना हाथ से छूटे ना डोर
रास्ता तो है कठिन पर हौसला है
साथ हैं जब फिर ना कोई फासला है
हर तरफ हलचल मचा दो कर के शोर
अब बड़े छोटे की दीवारें गिरा दो
जो भी पत्थर आये ठोकर से हटा दो
हों मुक़ाबिल देख लें दुश्मन का ज़ोर
राजनीति पर लगी कालिख मिटाओ
साफ़ सुथरी छवि के लोगों को बिठाओ
अब खजाना देश का लूटें ना चोर
आएगा वो दिन भी जब स्वराज होगा
देश अपना विश्व में सरताज होगा
बीतेगी ये रात काली होगी भोर
Sunil_Telang/31/08/2012
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