Friday, August 31, 2012

SARTAAJ


सरताज

चल पड़ा है कारवाँ मंजिल की ओर
पकडे रहना हाथ से छूटे ना डोर

रास्ता तो है कठिन पर हौसला है
साथ हैं जब फिर ना कोई फासला है
हर तरफ हलचल मचा दो कर के शोर 

अब बड़े छोटे की दीवारें गिरा दो
जो भी पत्थर आये ठोकर से हटा दो
हों मुक़ाबिल देख लें दुश्मन का  ज़ोर

राजनीति पर लगी कालिख मिटाओ
साफ़ सुथरी छवि के लोगों को बिठाओ
अब खजाना देश का लूटें ना चोर

आएगा वो दिन भी जब स्वराज होगा 
देश अपना विश्व में सरताज होगा
बीतेगी ये रात काली होगी भोर 

Sunil_Telang/31/08/2012

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