Wednesday, August 1, 2012

HUKMRAANO JAAG JAAO




Hukmraano Jaag Jaao

Hukmraano kuchh zameer apna jagaao
Desh hit me neend se ab jaag jaao

Jo bhi boya hai wo ik din kaatna hai
Shaakh hai phoolon ki kaante na ugaao

Teri aulaaden tujhe maafi na dengi
Raajneeti se kabhi to baaj aao

Faisle karte ho jo janta ki khaatir
Ban ke  insaan khud bhi ik din aazmaao

Apni gairat bechkar fir bhi ho zinda
Neend kaise aati hai humko bataao

Moh satta ka bhula do,  ye hai mauka
Aake baahar haath ANNA se milaao

Sunil_Telang/01/08/2012

हुक्मरानों जाग  जाओ 

हुक्मरानों  कुछ  ज़मीर  अपना  जगाओ 
देश  हित  में  नींद  से  अब  जाग  जाओ 

जो  भी  बोया  है  वो  इक  दिन  काटना  है 
शाख  है  फूलों  की  कांटे  न  उगाओ 

तेरी  औलादें  तुझे  माफ़ी  ना देंगी 
राजनीति  से  कभी  तो  बाज  आओ 

फैसले  करते  हो  जो  जनता  की  खातिर 
बन  के   इंसान  खुद  भी  इक  दिन  आजमाओ 

अपनी  गैरत  बेचकर  फिर  भी  हो  जिंदा 
नींद  कैसे  आती  है  हमको  बताओ 

मोह  सत्ता  का  भुला  दो ,  ये  है  मौका 
आके  बाहर  हाथ  "अन्ना " से  मिलाओ 


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