BEBASI
Kitne bebas is kadar
Laachar hain majboor hain
Inke apne log bhi
Shaayad pahunch se door hain
Is umar me bhi abhi
Aaram ka saadhan nahin
Unko bhi dikhlaao
Baithe jo nashe me choor hain
Haathon me jab tak hai dum
Ye hausla hoga na kam
Khaayenge mehnat ki roti
Bus yahi dastoor hai
Kaun lega sudh humari
Kisko hai apni fikar
Desh ki sarkaar to
Humse adhik majboor hai
Sunil_Telang/22/08/2012
बेबसी
कितने बेबस इस कदर
लाचार हैं मजबूर हैं
इनके अपने लोग भी
शायद पहुँच से दूर हैं
इस उमर में भी अभी
शायद पहुँच से दूर हैं
इस उमर में भी अभी
आराम का साधन नहीं
उनको भी दिखलाओ
बैठे जो नशे में चूर हैं
हाथों में जब तक है दम
ये हौसला होगा ना कम
खायेंगे मेहनत की रोटी
बस यही दस्तूर है
कौन लेगा सुध हमारी
किसको है अपनी फिकर
देश की सरकार तो
हमसे अधिक मजबूर है
बैठे जो नशे में चूर हैं
हाथों में जब तक है दम
ये हौसला होगा ना कम
खायेंगे मेहनत की रोटी
बस यही दस्तूर है
कौन लेगा सुध हमारी
किसको है अपनी फिकर
देश की सरकार तो
हमसे अधिक मजबूर है
Sunil_Telang/ 22/08/2012
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