Tuesday, August 21, 2012

ABHISHAAP


अभिशाप 

भूल  बैठे  जो  गली  माँ  बाप  की 
राह  चुन  बैठे  हैं  वो  अभिशाप  की 

गोद  में  जिनकी  तेरा  बचपन  गया 

जिनके  कारण  आज  तू  कुछ  बन  गया 
क्यों  निशानी  बन  रहा  संताप  की 

तुझको  पाला  कितनी  रातें  जाग  कर 

अपने  सुख  और  अपने  धन  को  त्याग  कर 
तेरे  कारण  सुध  ना  रक्खी  आप  की 

आज  तू  काबिल  है  तेरा  नाम  है 

रंग  में  डूबी  तेरी  हर  शाम  है 
हर  जगह  चर्चा  तेरे  परताप  की 

आधुनिकता  ने  किया  कैसा  असर 

तू  अलग  जा  बैठा  हमको  छोड़कर 
तुझको  आई  याद  ना  माँ  बाप  की 

ले  चुकीं  हैं  तेरी  औलादें  जनम 

सामने  उनके  तेरा  है  हर  करम 
बन  गयी  ज़ंजीर  तेरे  नाप  की 

Sunil_Telang/22/08/2012

ABHISHAAP

Bhool baithe jo gali maa baap ki
Raah chun baithe hain wo abhishaap ki

God me jinki tera bachpan gayaa
Jinke kaaran aaj tu kuchh ban gaya
Kyon nishaani ban raha santaap ki

Tujhko paala kitni raaten jaag kar
Apne sukh aur apne dhan ko tyaag kar
Tere kaaran sudh na rakkhi aap ki

Aaj tu kaabil hai tera naam hai
Rang me doobi teri har shaam hai
Har jagah charcha tere partaap ki

Aadhunikta ne kiya kaisa asar
Tu alag ja baitha humko chhodkar
Tujhko aai yaad na maa baap ki

Le chukin hain teri aulaaden janam
Saamne unke tera hai har karam
Ban gayee zanjeer tere naap ki

Sunil_Telang/21/08/2012

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