Thursday, August 30, 2012

KASAB




कसाब



फिर  कोई  कसाब  पैदा  अब  न  हो 

मौत  के  पर्याय   पर  न  रहम  हो 




राजनीति  इस  विषय  में  न  करो

पीड़ितों  की  बद-दुआओं  से  डरो

सख्त  निर्णय  लेने  में  न  देर  हो



काबिल  ए  माफ़ी  नहीं  इसका  गुनाह


कितने  परिवारों  के  लव  पे  आई  आह

इसकी  फांसी  हर  किसी  को  सबक  हो



इसका  मज़हब  है  न  कोई  जात  है

देश  की  अस्मत  पे  आई  बात  है

ख़त्म  इसके  साथ  ही  आतंक  हो



मौत  इसकी   देश   पर  अहसान   होगा 

फिर  न   कोई  जेल  का  मेहमान  होगा

अब  किसी  साज़िश  का  फिर  न  जनम  हो  



Sunil_Telang/30/08/2012

KASAB

Fir koi KASAB paida ab na ho

Maut ke paryay par na raham ho


Raajneeti is Vishay me na karo

Peediton ki badduaon se daro

Sakht nirnay lene me na der ho


Kaabil e maafi nahin iska gunaah

Kitne parivaron ke lav pe aai aah

Iski faansi har kisi ko sabak ho


Iska mazhab hai na koi jaat hai

Desh ki asmat pe aai baat hai

Khatm iske saath hi aatank ho


Maut iski desh par ahsaan hoga

Fir na koi jail ka mehmaan hoga

Ab kisi saazish ka fir na janam ho 

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