Thursday, August 2, 2012

KUCHH KAR DIKHAAO



कुछ कर दिखाओ


वक़्त की आवाज को यूँ मत दबाओ 
ये कहर अब ढायेगी , मत आजमाओ 


जल रहा  है देश  फिर आक्रोश में 
आग में घी डालकर मत लौ बढाओ 


अब कदम  पीछे  ना  लेंगे , सोच लो 
चाहे जितना जोर  या बल  आजमाओ 


हस्तियाँ कितनी ज़मीं  में मिल गईँ 
तुम वही इतिहास अब मत दोहराओ 


रक्त -रंजित  न  करो  तुम  ये  ज़मीं 
अब भी मौका है सितमगर   मान जाओ 


आने  वाली    पीढ़ियों   के   वास्ते 
छोड़कर अपनी ये जिद कुछ कर दिखाओ 


Sunil_Telang/02/08/2012


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