Wednesday, December 31, 2014

pK


pK

हर   सुबह   हर   शाम  PK 
मय का बस इक जाम पीके 
हर   कोई    दोहरा  रहा   है 
लब   पे   तेरा    नाम   PK 

ग़ुम     हुये     मुद्दे    ज़रूरी 
बढ़   रही  आपस  की   दूरी 
देख  कर  कड़वी   हक़ीक़त 
आज  बदले  सुर  सभी   के  

चैन  कुछ  बांटा  किसी  को 
चुभ  गया  कांटा किसी  को
धर्म     के    सौदागरों     के 
पड़    गये    हैं   रंग    फीके 

ये  मनोरंजन   का   जरिया 
सब  का  है अपना नजरिया 
आ  गया   नव  वर्ष ,   कुछ 
दीपक  जलाओ  रोशनी  के 

Sunil_Telang/31/12/2014

  

Saturday, December 27, 2014

BUNIYAAD


बुनियाद 

बात मत करिये यहां,  सच्चाई  और ईमान  की 
झूठ की  बुनियाद पर,  हस्ती  टिकी  इंसान की 

हो रहा है जो यहां,  होने भी दो, किसको  फ़िकर 
जाहिलों के हाथ में किस्मत है हिन्दोस्तान की 

क्यों  जगाता   है  यहां  मुर्दा-दिलों  को  नींद से 
क्या नहीं तुझको रही,  परवाह  अपनी जान की 

छोड़िये घर की फिकर, पहले अतिथि  देवो भवः 
आइये हंस कर करें, खिदमत ज़रा  मेहमान की 

काम का क्या,राज हमको पांच बरसों तक मिला 
वक़्त  है  सुनिये  अभी, कुछ और बातें ज्ञान की 

Sunil_Telang / 27/12/2014




Friday, December 26, 2014

BHEED


भीड़
ग़म तो सब के  ही पास रहते  हैं 
लोग  फिर  क्यों  उदास रहते  हैं
यूँ तो दुनिया है  भीड़  लोगों की
दिल में कुछ लोग ख़ास  रहते हैं 

Sunil_Telang /26/12/2014

Sunday, December 7, 2014

YAKEEN



YAKEEN 

होते   नहीं   उदास  अगर   कुछ  बुरा  हुआ 
है  कौन  वो  इंसान  जो  ना ग़मज़दा  हुआ 

किस्मत में  जो  लिखा है वही  हो के रहेगा 
खुद  से तू  बेवज़ह  खफा क्यों  बारहा हुआ  

किसको  सुना   रहा   है  तू   दास्ताने-ग़म  
मुश्किल में कब किसी का कोई दूसरा हुआ  

खुशियाँ  तुझे   मिलेंगीं  तू  रोक  ना कदम 
रस्ते  में  रुक  गया जो  वो ग़ुम शुदा  हुआ

बदलेगा तेरा  वक़्त भी खुद पर यकीन रख 
पत्थर भी एक रोज़  किसी  का  खुदा  हुआ

(ग़मज़दा-Grieved , बारहा - Often )

Sunil _Telang/07/12/2014

Saturday, November 29, 2014

RAASTA


रास्ता 

मेरी  नाकामियों  के  रोज़ किस्से ढूंढने वालो 
कभी अपनी भी कोई कामयाबी तो बता देना 
चला हूँ मैं तो  नेकी और सच्चाई के रस्ते पर 
तुम्हारा रास्ता क्या  है ज़रा इसका पता देना 

Sunil _Telang /29/11/2014




Friday, November 28, 2014

KHAIRIYAT



KHAIRIYAT 

रोज़  बातें   करने  वाले,  काम  क्यों   करते  नहीं 
कुछ  नया  कर के करिश्मा, जोश क्यों भरते नहीं

दूसरों  की ग़लतियों  को  रोज़  गिनवाते   हैं  जो 
अपनी भी उपलब्धियों  का ज़िक्र क्यों करते नहीं 

हो  गये   इतने  बरस , अपना   वतन  आज़ाद  है 
अन्न  है  भरपूर ,फिर  भी  पेट  क्यों  भरते   नहीं 

देश   है  सम्पन्न  अपना  आप   भी  कुछ  लूटिये 
घर ये मेहनत  की  कमाई  से  ही क्यों  भरते नहीं 

रोज़ लुटती  नारियों की अस्मिता, पर  ग़म  नहीं 
राज   है   क़ानून   का  पर  लोग  क्यों  डरते  नहीं 

जिनके  दम  से  उड़  रहे  हैं आसमां  में  रात दिन  
खैरियत   लेने   ज़मीं  पर   पैर   क्यों  धरते  नहीं    

Sunil_Telang/28/11/2014






















Tuesday, November 25, 2014

PRAAYASHCHIT


प्रायश्चित

लोग  खुश   होते  रहे   कागज़  के फूलों   के लिये    
उनको  ना  देखा  जो  लड़ते  हैं  उसूलों   के   लिये
   
मूल   मुद्दों   से   जुडीं   बातें   समझ  आती   नहीं 
दे   रहे   हैं  वक़्त   अपना   उलजुलूलों   के   लिये 

ढूंढ   ना  पाये   कभी    दो   चार   सच्चे   रहनुमा 

ये   विरासत   है   सुरक्षित   नामाकूलों   के  लिये 

ताज   पाकर   भूल   बैठे  वायदों   की  अहमियत 
क्या  सज़ा  कोई  नहीं  न हुक्म अदूलों  के लिये 

बंद  आँखों  को  किये  जो   रात   दिन  चलते  रहे 
कर न पाये प्रायश्चित फिर अपनी  भूलों  के लिये 


Sunil_Telang/25/11/2014

Thursday, November 20, 2014

DARD

दर्द 

दूर  रहते  हैं  मगर  दिल  से  जुदा  होते नहीं 
साथ जो गुज़रे हैं पल वो उम्र  भर खोते नहीं 
दर्द  सीने  में  छुपाये तू   भी  जीना  सीख ले 
मुस्कुराते  लोग  अक्सर  सामने  रोते  नहीं 

Sunil _Telang /20/11/2014


Tuesday, November 11, 2014

KADR


कद्र 

रोज़ कपड़ों की तरह मोबाइल तुम बदला  किये 
उनकी आँखों  का तुम्हें चश्मा नज़र आता नहीं 

तेरी  चिन्ता  में  नज़र  दरवाजे  से  हटती नहीं 
देर आधी  रात  को  जब  तक तू घर आता नहीं 

हर  घडी  मंहगाई  का  रोना  है बस उनके लिये 
आधुनिकता  का  हुआ कैसा असर, जाता  नहीं

अपने बचपन की ज़रा फरमाइशों  को याद कर 
देख कर उनकी तड़प दिल तेरा  भर आता नहीं 

तू  उन्हें  अपनाये  या  ठुकराये   है  मर्जी  तेरी 
कैसे कह दें तुझसे  उनका अब कोई नाता नहीं 

ले  चुकी  हैं  तेरी  औलादें  जनम , ये  समझ ले  
कौन है जिसको ये वक़्त आईना दिखलाता नहीं 

जीते जी ना कर सका जो कद्र माँ और बाप की 
सात जन्मों तक सुकूं वो शख्स फिर पाता नहीं 

Sunil _Telang /11/11/2014





Sunday, November 9, 2014

AASHAA



AASHAA

अक्लमंदों   का   तमाशा   देखिये 
हर  तरफ   छाई  निराशा  देखिये 

ख्वाब  टूटे अब हक़ीक़त खुल गई 

आम  जनता  में   हताशा  देखिये 

मुंह  छुपाते  लोग  अब बनने लगे 

पल में तोला,पल में माशा देखिये 

लफ़्ज़ों  में  शालीनता की हद नहीं 

सभ्य लोगों  की ये  भाषा  देखिये 

वक़्त फिर बदला,चलन बदलें ज़रा 

सरफिरे  लोगों   में  आशा  देखिये 

Sunil_Telang/09/11/2014

Thursday, September 11, 2014

NAAKHUDA


NAAKHUDA

उनको  तलाश  करिये  जो  गुम शुदा  हुये  हैं
हिम्मत दें उनको जिनके अपने जुदा  हुये  हैं 
ये  वक़्त  नहीं   आपस  का  बैर  हम  भुनायें 
उनको   नमन   हमारा  जो   नाखुदा   हुये  हैं 

Sunil_Telang/11/09/2014

Friday, September 5, 2014

KARZ


क़र्ज़ 

हम तो कच्चे थे  घड़े,  हमको  दिया आकार तुमने 
जो प्रगति का ख्वाब देखा था किया साकार तुमने
क़र्ज़  कैसे  हम  चुकायें, हम तुम्हें कुछ  दे ना पाये 
अपनी  सेवा  का कभी चाहा नहीं प्रतिकार  तुमने 

तुम  बहाते   हो  धरा  पर ज्ञान  की  चहुँ ओर गंगा 
आदमी  पढ़ लिख  के भी दिखला रहा है नाच नंगा
हुस्न बालाओं  का तन  ढंकने लगा  अपना तिरंगा
देश   की  हर  दुर्दशा  का   भी  उठाया  भार  तुमने 

बन  गयी व्यापार शिक्षा , शिक्षकों का मान खोया 
नित नये  भर्ती  के  घोटालों  ने इज़्ज़त को डुबोया 
जो मिला हँस के उसी में  कर लिया अपना गुज़ारा 
वक़्त  के  निर्दय  थपेड़ों  की  भी  झेली मार तुमने 

हो  गयी   है  औपचारिकता   तुम्हें   सम्मान  देना 
है  ज़रूरी  अब  सभी  प्रतिभाओं पर भी ध्यान देना  
है असंभव जीते  जी  शिक्षक   के कर्जों को चुकाना 
दे के अमृत खुद गरल को कर लिया स्वीकार तुमने  

Sunil_Telang/05/09/2014

GAREEBI


गरीबी 

गरीबी  छुप   कहीं  जा  के, तेरा  कोई  नहीं  अपना 
तुझे   अपनायेगा   कोई ,  रहेगा   ये   सदा  सपना 

कभी  गर्मी  की  तपती दोपहर  में  है  तुझे जलना 

कभी   सर्दी   की  बर्फीली  सिहर में  है तुझे पलना 
सदा  दो  रोटियों  की आस में  जीवन  तेरा  खपना 

अमीरों   के  लिये  तू  हो  गई  पहचान  का  साधन 
तुझे दर दर भटकना है यूँ ही जब तक है काला धन 
तुझे लूटा  है अपनों  ने  दिखा  के नित नया सपना 

तेरी  चिथड़ों  में  लिपटी  ये जवानी  देखते  हैं लोग 
हिकारत से  तेरी  आँखों  में  पानी   देखते  हैं  लोग 
सियासत  के  लिये  बस  है  ज़रूरी  नाम ये जपना 

Sunil_Telang/05/09/2014




Thursday, September 4, 2014

DARD


दर्द 

दर्द को  अपनाइये, अपने हों, चाहे  हों पराये 
आदमी  तो है वही, जो दूसरों  के काम आये 
सिर्फ  अपने  वास्ते, जीते रहे तो क्या जिये
हो गये हैं गुमशुदा, यूँ  तो हज़ारों लोग आये 

Sunil_Telang/04/09/2014






Sunday, August 31, 2014

FAASLA


फासला

मिला वो ख्वाब में, लेकिन खफा सा, कुछ जुदा सा था 
वो  मेरे   पास  बैठा  था   मगर  कुछ  फासला  सा  था 

निगाहों   में   थी   बेचैनी,  अज़ब   एहसास   था  कोई 
वो  मेरा   हो   के  भी   मेरे   लिये  ना-आशना  सा  था 

खुली  जो  आँख तो  था फिर  वही तन्हाई  का  आलम 
गिला शिकवा भी था लब पे, मगर दिल शादमां सा था 

खुदा   का   शुक्रिया   दिलवर  तेरा   चेहरा नज़र आया  
मरीजे - इश्क़   को   दीदार   तेरा   इक   दवा   सा   था 

(ना-आशना - Unknown ,  शादमां -Glad )

Sunil _Telang /31/08/2014























Friday, August 29, 2014

SABAR



सबर

परेशानी  तो  है  लेकिन  जुबां से  कुछ  नहीं कहते 
गुज़र जाती है सारी उम्र  बस  ज़ुल्मो सितम सहते 

बड़ी उम्मीद से   तकते हैं   शायद  इक करिश्मा हो 
मगर रह जाते हैं  ख़्वाबों को  अक्सर  देखते  ढहते 

समझ में कुछ नहीं आता हुआ क्या हुक्मरानों को
अहम मुद्दों  पे  भी  ये मूक  दर्शक  क्यों  बने  रहते 

नहीं वादों की कोई अहमियत,  है फिर वही किस्सा  
गरीबों   की   दो  आँखों   से  रहेंगे  अश्क़  ही  बहते 

धरम और जाति के झगड़ों में हमको झोंकने वालो 
सबर का इम्तिहां ना लो  संभल जाओ समय रहते 

Sunil_Telang/29/08/2014








Monday, August 25, 2014

HUNAR


हुनर


तुमको थी शायद ज़माने की फिकर
इसलिये तुम चल दिये मुंह फेरकर
तुमने  ये  सोचा  नहीं  कोई यहाँ
जी रहा  है  सिर्फ तुमको देख कर

दूसरों  को  लोग  क्यों इल्जाम दें
बेबसी   को   बेवफाई   नाम  दें
ये मोहब्बत ज़िन्दगी  है या  क़ज़ा
जीते जी  समझा नहीं  कोई  बशर

यूँ ही सदियों से चला ये सिलसिला
है ख़ुशी कम,बस ग़मों का काफिला  
जाने किसको क्या मज़ा इसमें मिला
कुछ नहीं होता  नसीहत का असर 

मिल ना पाते हैं नदी के दो किनारे
जायें तो जायें कहाँ उल्फत के मारे
ज़िन्दगी हँसकर कोई रो कर गुज़ारे
अपना अपना  शौक है अपना हुनर

Sunil_Telang/25/08/2014






Tuesday, August 19, 2014

PRERNA KE SHROT



प्रेरणा  के  स्रोत

दर्द   अपने    ही    हमारा   जानते   हैं 
लोग क्यों हमको निकम्मा मानते  हैं 

हो   शहर  या  गाँव   या  दुश्वार  रस्ते 
जंगलों  की  ख़ाक  भी  हम छानते  हैं 

जुर्म  का  हो अंत और धन की सुरक्षा 
प्राथमिक  कर्तव्य  अपना  मानते  हैं 

गर्व    का   एहसास   है   वर्दी   हमारी 
हम   दीवाने   कद्र   इसकी  जानते  हैं

जान जोखिम में रहे  पर ना रुकें  हम  
लक्ष्य   वो   पूरे   करें   जो   ठानते  हैं 

है नमन करबद्ध उन अधिकारियों को 
प्रेरणा  के  स्रोत  जिनको   मानते  हैं 

Sunil _Telang /19/08/2014










Sunday, August 17, 2014

ZASHN-E-AAZAADI



जश्ने आज़ादी 

बहुत खुश हो लिये हम सब, मना  के जश्ने आज़ादी 
मगर उनकी भी कुछ सुन लें बने  बैठे जो  फरियादी 

कहें कैसे  कि  हैं आज़ाद  हम, है  भुखमरी  जब तक 
बहन और बेटियां साये  में डर के जी  रही  जब  तक
सड़क  पर  काटती  है  रात  जब  तक आधी आबादी 

हुये बरसों, ना  रुक पाया है  शोषण आम जनता का 
बिना  रिश्वत  दिये  होता  नहीं  है  काम  जनता का 
चलन   है   लूट   भ्रष्टाचार  का  सब  हो  गये  आदी 

महज़  बातों   से   लोगों   ने  नई  उम्मीद  दिखलाई 
मगर नीयत किसी की साफ़ अब तक ना नज़र आई 
वतन   बर्बाद  कर  डाला  पहन   कर  टोपियां  खादी 

रहेंगे  लोग  ना  खामोश  अब  फितरत  बदल  डालो 
संभल जाओ, सुधर जाओ,सबर का इम्तिहाँ  ना लो  
कहीं  ना   देश   का  हर   नौजवां  हो  जाये  उन्मादी 

Sunil_Telang//17/08/2014


Friday, August 15, 2014

KAAYNAAT



कायनात

जश्न-ए-आज़ादी  मनाने  की  नई शुरुआत हो 
कुछ नया संकल्प लें हम सब, तो कोई बात हो 

तोड़   डालें  जाति  धर्मों   से   बनी  ज़ंजीर  को 
एकता   ना   टूट   पाये   चाहे   जो  हालात  हो 

वक़्त  है   फिरका-परस्तों  को  दिखायें  रास्ता 
रंजिशें  सब भूल  जायें  जब  कभी आपात  हो 

दीन दुखियों की खबर लें, दर्प अपना  भूल कर 
देश हित के काम में अब एक दिन और रात हो 

हो सही  नीयत तो कोई काम नामुमकिन नहीं 
काम  कुछ  ऐसा  करें क़दमों  में कायनात  हो 

Sunil _Telang/15/08/2014




Wednesday, August 13, 2014

MUSAAFIR



मुसाफिर

जान जोखिम में लिये चलते मुसाफिर
खौफ के साये  तले  पलते  मुसाफिर

उम्र बीती, राज बदले, पर  ना  बदले
भेड़  बकरी  की तरह पलते मुसाफिर  

सर्द  रातों  की  सिहर  महसूस करते
गर्म लपटों  में कभी  जलते मुसाफिर

कुछ  नये  बदलाव की उम्मीद लेकर
रोज़  अपने आप  को छलते मुसाफिर

रोज़मर्रा  की कमाई  का  ही  जरिया 
हो  गये  बस फूलते फलते  मुसाफिर 

जान की परवाह क्या आम आदमी की  
अपने  हाथों  को  रहे मलते मुसाफिर 

Sunil_Telang/13/08/2014




Tuesday, August 12, 2014

BADHAAI



BADHAAI

लबों  पर  मुस्कराहट   ही   सदा  कायम  रहे 
सदा  खुशियाँ  मिलें तुमको  न कोई ग़म रहे 
जनमदिन हो  मुबारक  दे रहे दिल से  बधाई 
रहेगी   याद   बाकी    तुम   रहे   ना   हम  रहे 

Sunil_Telang/12/08/2014

Saturday, August 9, 2014

RAAKHI


राखी 

नहीं समझो  इसे  धागा, ये बंधन तो जनम का है 
लुटाओ प्यार बहनों पर, नहीं ये वक़्त  ग़म  का है 
बदल डालें नीयत अपनी ,मिले सम्मान नारी  को 
रखें हम लाज राखी की, तकाजा इस कसम का है 

Sunil_Telang/09/08/2014














Thursday, July 31, 2014

SANSKRATI



संस्कृति

किस  लिये  शिक्षित  हुये ये बेकदर 
फिर  रहे  हैं  यूँ   भटकते   दर  बदर
संस्कृति  अपनी  जो अपनाते यहाँ
बन  गये  हैं बोझ  क्या  इस देश पर

अपनी भाषा का सहें अपमान क्यों 
हर जगह अंग्रेज़ियत का मान क्यों
हास   का   है  पात्र   राष्ट्र गान  क्यों 
क्या नहीं सरकार को   इसकी खबर 

कुछ   नये   बदलाव  जल्दी  लाइये  
नौनिहालों को  ना  अब  भटकाइये 
अपना  भारत  ना  बनाओ  इंडिया 
बाँट ना   दे  हम को  ये  मीठा ज़हर 

Sunil_Telang/31/07/2014

 



Tuesday, July 29, 2014

NAGHMA


नग़मा 

हो अगर  दिल  में जगह  तो हर कोई  मेहमां  बने
तेरे  सुर  से  मेरा  सुर मिल  जाये  तो  नग़मा बने 

मुश्किलें  इस  देश   की  आसान  हो  जायें   अगर 
आदमी   हिन्दू   मुसलमां   छोड़   कर  इन्सां  बने 

तोड़   दें   दीवार  जाति    और  मज़हब   की  सभी 
सिर्फ  अब   इंसानियत  ही   दीन  और  ईमां  बने 

भूल कर  ये  बैर, रंजिश  आओ  मिल  जायें   गले 
हो  अमन और चैन  तो  खुशहाल   हिन्दुस्तां  बने 

Sunil_Telang/29/07/2014

JASHN


जश्न 

मुबारक बाद कैसे दें , कहीं खुशियाँ ,कहीं ग़म है 
कहीं पर  रक्तरंजित है ज़मीं , हर ओर मातम है 
कहाँ  बैठे अमन के ऐ खुदाओ, इक  नज़र डालो 
मनायें जश्न कैसे  ईद  का जब  आँख पुरनम है 

Sunil_Telang/29/07/2014

Monday, July 28, 2014

MAKAAM


मकाम

यूँ  तो  लबों  पे  अपने  कितने  ही  नाम थे 
लेकिन खयालों  में तुम  ही सुबहो-शाम थे 

इकरारे  वफ़ा  तो  हम  तुमसे  ना कर सके

नज़रों  से  दिल ने  भेजे  कितने  पयाम थे

ना तुमने कुछ कहा था ना हमने कुछ कहा 
फिर भी  हर इक जुबां  पर चर्चे ये  आम थे

ये प्यार था,कशिश थी,या  बस  फरेब कोई   
किस्मत   में   दूरियों  के  भी  इंतजाम   थे 

अब  दूर   तुमसे   रह  के  महसूस  ये  हुआ 
मंज़िल नहीं थे तुम  भी बस इक मकाम थे 

Sunil_Telang/28/07/2014





Thursday, July 24, 2014

BABAAL



बबाल

चलो इक बार उनको भी तो  रोटी का ख़याल आया 
ना  जाने क्यों ज़रा सी बात पर इतना बबाल आया 

यहाँ   तो   रोज़    लाखों   लोग  भूखे  पेट  सोते   हैं 
मगर पहले  कभी ना  उनके  चेहरे  पे मलाल आया

मिली  फुर्सत  ना  उनको  दूसरों  का  हाल  वो  पूछें  
जो गुज़री आज खुद पे  तो जेहन में ये सवाल आया 

संभल  जाओ  ज़मीं  के ऐ  खुदाओ, याद  ये  रखना  
उड़ा जो आसमां में,बस समझ लो उसका काल आया 

Sunil_Telang/24/07/2014









Tuesday, July 22, 2014

LAKSHYA



लक्ष्य 

ख़ुशी   के  दो  पलों  का  ले  सहारा 
ग़मों  को याद  ना   करना दोबारा  

हमेशा रश्क़ क्या करना  किसी से
यहाँ है हर कोई किस्मत का मारा  

जो   तेरे   सामने   है , पल  है  तेरा  
इसी    में   ज़िन्दगी  का  है गुज़ारा 

यहाँ   तेरे   सिवा   तेरा   ना   कोई 
समझ  लो   मेरी  बातों  का इशारा 

लुटायें  प्यार, नफरत को  भुला के 
यही  हो  लक्ष्य  दुनिया  में  हमारा 

Sunil_Telang/22/07/2014

Thursday, July 17, 2014

SHAAYARI


शायरी

अब  किसी  से  दोस्ती   ना  दुश्मनी  अच्छी  लगे
साथ  हो  अपना  कोई  तो  हर  खुशी  अच्छी लगे  

शौक  था  उनका  मोहब्बत  हमने  माना ज़िंदगी 
जब  से  टूटा  दिल  जहां   की  बेरुखी अच्छी लगे 

ओढ़कर  अक्सर   मुखौटे   लोग  मिलते   हैं  यहाँ 
दिल से दिल मिल जाये ऐसी  सादगी अच्छी लगे 

कोई  होगा  ना  खफा , पहले   जुबां   को  तोलिये 
हँस  के  जो बोलो  तो  कड़वी बात भी अच्छी लगे 

कितने मोमिन,मीर,ग़ालिब नाम अपना कर गये 
जो  करे  दिल  पर  असर वो  शायरी  अच्छीे  लगे 

Sunil_Telang/17/07/2014









GURBAT


ग़ुरबत

बहुत  ग़म  हैं  ज़माने  में  कभी  शिकवा  ना  करना 
गुज़र जायेंगे दिन ग़ुरबत के  दिल छोटा  ना  करना 
फकत दौलत  कमाने   से  नहीं  मिलती  हैं खुशियाँ
सबर  के  साथ जीना,  ख्वाहिशें   ज़्यादा  ना करना 

Sunil_Telang/16/07/2014
 

  






Friday, July 11, 2014

RANGAT



रंगत 


समझिये बात को पहले , अजी गुस्सा ना  करिये  
अभी  रंगत   नहीं  उतरी , ज़माने  से   भी  डरिये 

तुम्हें  तो  नुक्स  ही  आते  नज़र  हर  मामले   में 
मिलेगा सब्र का फल, कुछ दिनों धीरज तो धरिये 

चलो माना,  नहीं  कायम  हैं  वो अपनी जुबां  पर 
मगर  जनतंत्र  का  भी  तो ज़रा  सम्मान  करिये 

नहीं इतनी भी  भोली अब  रही जनता, समझिये 
दिया  मौक़ा परस्तों   को  सबक वोटों  के ज़रिये 

ग़लत है क्या , सही  क्या  है ,बहस  का है ये मुद्दा 
किसी को  आइना दिखलायें, पहले  खुद  सुधरिये 

Sunil_Telang/11/07/2014

Thursday, July 10, 2014

SHAHNAAIYAN



शहनाइयां  

कभी  तन्हाईयां  होंगी ,  कभी  रुसबाइयां  होंगी 
चलोगे जिस डगर पर तुम मेरी परछाइयां  होंगी 

बसे हो जब निगाहों में तो फिर ये दूरियां क्या हैं 

मेरे  ख़्वाबों  की  दुनियां ये  तेरी  रानाइयां होंगी 

छुपा है चाँद बदली में , ये मदहोशी का आलम है 

सर-ए-आईना तूने  फिर से ली अंगड़ाइयां  होंगी 

गुज़र जायेंगी ये फुरकत की रातें वस्ल भी होगा     

नये  नग़मे  सुनाती  बज  रही शहनाइयां  होंगी 

Sunil_Telang/10/07/2014
    

       

Tuesday, July 8, 2014

PRAYAAS



प्रयास 

गरीबों  का  बजट  अक्सर  अमीरों  को ही रास आया 
किसी आम आदमी के हाथ में कुछ भी न ख़ास आया 
वही   घाटे  का  रोना,  फिर  वही  संसाधनों  का  ग़म  
फकत इन  घोषणाओं  पर  कहें   कैसे  विकास  आया 

नहीं   अब   तक   दवा   आई   जो  भ्रष्टाचार  को  रोके
हुई   पटरी  पुरानी   नित   मुसाफिर  माल  ढो  ढो  के  
ठसाठस   भर   के   चलते   रेलगाड़ी   के  सभी   डब्बे 
मगर   फिर  भी   नहीं  भरपूर  पैसा  तेरे   पास  आया

बुलेट   ट्रेनों   के    कैसे   देख   पायें   हम  अभी  सपने 
हमें  चिन्ता , सुरक्षित  कैसे   पहुंचें   गाँव,  घर  अपने 
किराया   बढ़   रहा   है   तो   हमें   दो   मूल  सुविधायें  
तभी  हम  कह  सकेंगे लो  कोई  सार्थक  प्रयास आया 

Sunil_Telang/08/07/2014








APNAPAN


अपनापन

ग़रीबी, भूख  और  लाचारगी  में  पल रहा  बचपन     
सदी बदली,समय बदला ,रहा फिर भी ये नंगा तन 
रहेंगे  कब  तलक  हाथों   को  फैलाये  हुये   यूँ  ही 
कोई  तो हो  हमें जो दे  सके कुछ प्यार अपनापन 

Sunil _Telang/08/07/2014 


Sunday, July 6, 2014

BANDAGI


बन्दगी

कोई ख्वाहिश नहीं  दिल  में 
तो ये  ग़म और खुशी क्या है 
नहीं   मक़सद   अगर   कोई  
तो  फिर ये  ज़िन्दगी क्या है 

हुआ     है    ये    जनम   तेरा  
नया  कुछ  कर  दिखाने  को 
तू अब तक ना  समझ पाया 
भला   ये    आदमी   क्या  है 

ग़मों   के   बोझ   की   गठरी 
उठाये     रोज़     फिरता    तू 
कभी      देखा      नहीं     तेरे
लबों   पर   ये   हँसी  क्या  है 

कोई  हिन्दू , कोई   मुस्लिम 
कोई     ईसाई      बन     बैठा 
मगर समझा  नहीं  अब तक  
खुदा    की   बन्दगी क्या   है 

Sunil _Telang/06/07/2014







Thursday, July 3, 2014

DAUR



दौर 

हर  तरफ  छाया जुनूं  फुटबाल का
हाल  क्या बतलायें  अपने हाल का

सर चढ़ी  मंहगाई किससे क्या कहें  

पूछिये  ना   भाव   आटे   दाल   का 

रेल गाड़ी  का   सफर  मंहगा   हुआ 
भूल  बैठे   नाम   हम  ससुराल  का 

लड़खड़ाई   अन्ध  भक्तों   की   जुबां  
अब रहा ना ज्ञान सुर और ताल का 

आयेगा  अच्छे  दिनों  का  दौर  भी 
जोक है सबसे  बड़ा  इस  साल  का 

Sunil_Telang/03/07/2014







KHUMAARI



खुमारी

अंधेरों में  घिरे हैं  जो  कभी बाहर ना  निकलेंगे 
ज़माने को बदलना है मगर खुद को ना बदलेंगे 

अभी आँखों पे  पर्दे  हैं , खुमारी  है   अभी  बाकी 
यहां फिर ठोकरें खाकर ही नादां  लोग संभलेंगे 

Sunil_Telang/03/07/2014




Wednesday, July 2, 2014

MAUSAM



मौसम

अब खुशी तुमको  मिले या ग़म मिले 
हमको तो यादों के बस मौसम  मिले  
कर मोहब्बत इस तरह, देखे ज़माना 
आँख सबकी एक  दिन पुरनम  मिले 

Sunil_Telang/02/07/2014

Monday, June 30, 2014

KAHAANI


कहानी 

कब तक बैठें हम लिये अच्छे दिन की आस 
डगमग  डगमग  हो रहा जनता का विश्वास 

बढ़ी  पेट्रोल और डीज़ल की फिर से कीमत
धीरे  धीरे   टूट   रही   लोगों   की  हिम्मत 

आलू  और  प्याज   लाये  आँखों   में  पानी 
बदली  है   सरकार  मगर  है   वही  कहानी 

Sunil_Telang/30/06/2014






Friday, June 27, 2014

SHURUAAT


शुरुआत

और  भी  मुद्दे  ज़रूरी  हैं मगर हम, बात पहले  दाल रोटी  की  करें 
सख्त कर दें इस कदर क़ानून अपना, आततायी जुर्म करने  से डरें 

लूट भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने  का  नया संकल्प  जीवन  में  भरें 
दें नसीहत दूसरों को इस से अच्छा,ये नई शुरुआत हम खुद से करें 

Sunil_Telang/27/06/2014



Wednesday, June 25, 2014

ACHCHHE DIN


अच्छे    दिन 

बेवजह  ये  आँखें  ना  अश्क़वार  कीजिये 
हँस के इन्सानियत को शर्मसार कीजिये 

जान  हथेली पे लिये जीते   हैं  लोग  यहां 
रोज़  नये  हादसों  का  इन्तज़ार कीजिये

किसको  दें  दोष यहां  लूटा   है अपनों  ने                              
चर्चा  ना  दुश्मनों  की  बार बार  कीजिये 

हादसे की जांच होगी फिर पुरानी बातें हैं
कुछ  तो   नया   काम   सरकार  कीजिये  

हादसा ये छोटा था  इसका कुछ ग़म नहीं
अच्छे    दिन   आयेंगे   ऐतबार   कीजिये 

Sunil _Telang/25/06/2014


Tuesday, June 24, 2014

TAASEER


तासीर

कभी तो 
इंडिया को भूल कर 
भारत की  भी तस्वीर को  देखो 

कभी लाचार 

और बेबस के दिल में 
रोज़ उठती पीर  को  देखो 


यहाँ दो वक़्त की 

रोटी की चिंता में गुज़रते दिन 

ग़रीबी,भूख,

मंहगाई से जकड़ी 
ज़ुल्म की जंजीर  को देखो 


चलो ये माना हमने 

साइबर युग आ गया है 

मगर कोई 

बदल पाया  नहीं 
इन्सान की तक़दीर को देखो  


तेरे ऊंचे महल 

ये शानो - शौकत
इनके  दम से है 

फना हो जायेगी  

ये सल्तनत
है आह में तासीर को देखो  

Sunil_Telang/24/06/2014








Friday, June 20, 2014

RAIL KIRAAYA



रेल किराया 

रेल किराया बढ़ गया अचरज की क्या बात 
अच्छे  दिन की  हो गयी एक नयी शुरुआत 

कहो ना  इसको जनता  के संग  ये धोका है  
भीड़  भाड़   को  काबू  करने   का  मौक़ा  है 

बहुत ज़रूरी जाना  हो  बस  तभी निकलना 
वर्ना  सबसे  अच्छा   साधन  पैदल  चलना 

एक  तीर  से  कर लिये  दो  दो बार शिकार 
लोगों  की  सेहत   बने  ध्यान  धरे  सरकार 

बढे    हुये    भाड़े    से   पूरा    भरे  खजाना 
रेलगाड़ियों  में   भी  कम   हो  आना जाना 

बात बात में नुक्स ना यूँ  हर बार निकालो 
अब तो बोझ सहन  करने  की आदत डालो 

Sunil _Telang /20/06/2014