Tuesday, July 8, 2014

PRAYAAS



प्रयास 

गरीबों  का  बजट  अक्सर  अमीरों  को ही रास आया 
किसी आम आदमी के हाथ में कुछ भी न ख़ास आया 
वही   घाटे  का  रोना,  फिर  वही  संसाधनों  का  ग़म  
फकत इन  घोषणाओं  पर  कहें   कैसे  विकास  आया 

नहीं   अब   तक   दवा   आई   जो  भ्रष्टाचार  को  रोके
हुई   पटरी  पुरानी   नित   मुसाफिर  माल  ढो  ढो  के  
ठसाठस   भर   के   चलते   रेलगाड़ी   के  सभी   डब्बे 
मगर   फिर  भी   नहीं  भरपूर  पैसा  तेरे   पास  आया

बुलेट   ट्रेनों   के    कैसे   देख   पायें   हम  अभी  सपने 
हमें  चिन्ता , सुरक्षित  कैसे   पहुंचें   गाँव,  घर  अपने 
किराया   बढ़   रहा   है   तो   हमें   दो   मूल  सुविधायें  
तभी  हम  कह  सकेंगे लो  कोई  सार्थक  प्रयास आया 

Sunil_Telang/08/07/2014








No comments:

Post a Comment