प्रयास
गरीबों का बजट अक्सर अमीरों को ही रास आया
किसी आम आदमी के हाथ में कुछ भी न ख़ास आया
वही घाटे का रोना, फिर वही संसाधनों का ग़म
फकत इन घोषणाओं पर कहें कैसे विकास आया
नहीं अब तक दवा आई जो भ्रष्टाचार को रोके
हुई पटरी पुरानी नित मुसाफिर माल ढो ढो के
ठसाठस भर के चलते रेलगाड़ी के सभी डब्बे
मगर फिर भी नहीं भरपूर पैसा तेरे पास आया
बुलेट ट्रेनों के कैसे देख पायें हम अभी सपने
हमें चिन्ता , सुरक्षित कैसे पहुंचें गाँव, घर अपने
किराया बढ़ रहा है तो हमें दो मूल सुविधायें
तभी हम कह सकेंगे लो कोई सार्थक प्रयास आया
Sunil_Telang/08/07/2014
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