Friday, August 15, 2014

KAAYNAAT



कायनात

जश्न-ए-आज़ादी  मनाने  की  नई शुरुआत हो 
कुछ नया संकल्प लें हम सब, तो कोई बात हो 

तोड़   डालें  जाति  धर्मों   से   बनी  ज़ंजीर  को 
एकता   ना   टूट   पाये   चाहे   जो  हालात  हो 

वक़्त  है   फिरका-परस्तों  को  दिखायें  रास्ता 
रंजिशें  सब भूल  जायें  जब  कभी आपात  हो 

दीन दुखियों की खबर लें, दर्प अपना  भूल कर 
देश हित के काम में अब एक दिन और रात हो 

हो सही  नीयत तो कोई काम नामुमकिन नहीं 
काम  कुछ  ऐसा  करें क़दमों  में कायनात  हो 

Sunil _Telang/15/08/2014




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