मकाम
यूँ तो लबों पे अपने कितने ही नाम थे
लेकिन खयालों में तुम ही सुबहो-शाम थे
इकरारे वफ़ा तो हम तुमसे ना कर सके
नज़रों से दिल ने भेजे कितने पयाम थे
ना तुमने कुछ कहा था ना हमने कुछ कहा
फिर भी हर इक जुबां पर चर्चे ये आम थे
ये प्यार था,कशिश थी,या बस फरेब कोई
किस्मत में दूरियों के भी इंतजाम थे
अब दूर तुमसे रह के महसूस ये हुआ
मंज़िल नहीं थे तुम भी बस इक मकाम थे
Sunil_Telang/28/07/2014
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