जश्ने आज़ादी
बहुत खुश हो लिये हम सब, मना के जश्ने आज़ादी
मगर उनकी भी कुछ सुन लें बने बैठे जो फरियादी
कहें कैसे कि हैं आज़ाद हम, है भुखमरी जब तक
बहन और बेटियां साये में डर के जी रही जब तक
सड़क पर काटती है रात जब तक आधी आबादी
हुये बरसों, ना रुक पाया है शोषण आम जनता का
बिना रिश्वत दिये होता नहीं है काम जनता का
चलन है लूट भ्रष्टाचार का सब हो गये आदी
महज़ बातों से लोगों ने नई उम्मीद दिखलाई
मगर नीयत किसी की साफ़ अब तक ना नज़र आई
वतन बर्बाद कर डाला पहन कर टोपियां खादी
रहेंगे लोग ना खामोश अब फितरत बदल डालो
संभल जाओ, सुधर जाओ,सबर का इम्तिहाँ ना लो
कहीं ना देश का हर नौजवां हो जाये उन्मादी
Sunil_Telang//17/08/2014
No comments:
Post a Comment