Tuesday, June 24, 2014

TAASEER


तासीर

कभी तो 
इंडिया को भूल कर 
भारत की  भी तस्वीर को  देखो 

कभी लाचार 

और बेबस के दिल में 
रोज़ उठती पीर  को  देखो 


यहाँ दो वक़्त की 

रोटी की चिंता में गुज़रते दिन 

ग़रीबी,भूख,

मंहगाई से जकड़ी 
ज़ुल्म की जंजीर  को देखो 


चलो ये माना हमने 

साइबर युग आ गया है 

मगर कोई 

बदल पाया  नहीं 
इन्सान की तक़दीर को देखो  


तेरे ऊंचे महल 

ये शानो - शौकत
इनके  दम से है 

फना हो जायेगी  

ये सल्तनत
है आह में तासीर को देखो  

Sunil_Telang/24/06/2014








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