तासीर
कभी तो
इंडिया को भूल कर
भारत की भी तस्वीर को देखो
कभी लाचार
और बेबस के दिल में
रोज़ उठती पीर को देखो
यहाँ दो वक़्त की
रोटी की चिंता में गुज़रते दिन
ग़रीबी,भूख,
मंहगाई से जकड़ी
ज़ुल्म की जंजीर को देखो
चलो ये माना हमने
साइबर युग आ गया है
मगर कोई
बदल पाया नहीं
इन्सान की तक़दीर को देखो
तेरे ऊंचे महल
ये शानो - शौकत
इनके दम से है
फना हो जायेगी
ये सल्तनत
है आह में तासीर को देखो
Sunil_Telang/24/06/2014
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