बुनियाद
बात मत करिये यहां, सच्चाई और ईमान की
झूठ की बुनियाद पर, हस्ती टिकी इंसान की
हो रहा है जो यहां, होने भी दो, किसको फ़िकर
जाहिलों के हाथ में किस्मत है हिन्दोस्तान की
क्यों जगाता है यहां मुर्दा-दिलों को नींद से
क्या नहीं तुझको रही, परवाह अपनी जान की
छोड़िये घर की फिकर, पहले अतिथि देवो भवः
आइये हंस कर करें, खिदमत ज़रा मेहमान की
काम का क्या,राज हमको पांच बरसों तक मिला
वक़्त है सुनिये अभी, कुछ और बातें ज्ञान की
Sunil_Telang / 27/12/2014
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