pK
हर सुबह हर शाम PK
मय का बस इक जाम पीके
हर कोई दोहरा रहा है
लब पे तेरा नाम PK
ग़ुम हुये मुद्दे ज़रूरी
बढ़ रही आपस की दूरी
देख कर कड़वी हक़ीक़त
आज बदले सुर सभी के
चैन कुछ बांटा किसी को
चुभ गया कांटा किसी को
धर्म के सौदागरों के
पड़ गये हैं रंग फीके
ये मनोरंजन का जरिया
सब का है अपना नजरिया
आ गया नव वर्ष , कुछ
दीपक जलाओ रोशनी के
Sunil_Telang/31/12/2014
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