शहनाइयां
कभी तन्हाईयां होंगी , कभी रुसबाइयां होंगी
चलोगे जिस डगर पर तुम मेरी परछाइयां होंगी
बसे हो जब निगाहों में तो फिर ये दूरियां क्या हैं
मेरे ख़्वाबों की दुनियां ये तेरी रानाइयां होंगी
छुपा है चाँद बदली में , ये मदहोशी का आलम है
सर-ए-आईना तूने फिर से ली अंगड़ाइयां होंगी
गुज़र जायेंगी ये फुरकत की रातें वस्ल भी होगा
नये नग़मे सुनाती बज रही शहनाइयां होंगी
Sunil_Telang/10/07/2014
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