फासला
मिला वो ख्वाब में, लेकिन खफा सा, कुछ जुदा सा था
वो मेरे पास बैठा था मगर कुछ फासला सा था
निगाहों में थी बेचैनी, अज़ब एहसास था कोई
वो मेरा हो के भी मेरे लिये ना-आशना सा था
खुली जो आँख तो था फिर वही तन्हाई का आलम
गिला शिकवा भी था लब पे, मगर दिल शादमां सा था
खुदा का शुक्रिया दिलवर तेरा चेहरा नज़र आया
मरीजे - इश्क़ को दीदार तेरा इक दवा सा था
(ना-आशना - Unknown , शादमां -Glad )
Sunil _Telang /31/08/2014
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