Wednesday, October 31, 2012

DEKHE THE KHWAAB




देखे थे ख्वाब

देखे थे ख्वाब हमने, छू लेंगे आसमां को
लेकिन बचा न  पाये , अपने ही आशियां  को

करते गिला, अगर ये  दुश्मन का काम होता
बर्बाद कर दिया है अपनों ने इस जहां को

मंजिल है सामने , पर  बढ़ते  नहीं कदम हैं
डर  रहनुमाओं से है अपने ही कारवां को

होने लगे पशेमां " नादिर" भी "गजनबी" भी
लूटा है आज ऐसे अपने  हिन्दोस्तां को  (पशेमां-Ashamed,शर्मिन्दा )

चुप बैठ कर न  ऐसे  दुनिया बदल सकोगे
आना पड़ेगा आगे हर एक नौजवां को

Sunil_Telang


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