बिसात
देश का भविष्य आज , बिछ गया बिसात पर
अब चरित्रशील लोग ढूँढने की बात कर
हो गया है खोखला ये देश लूट तंत्र से
जो गुनाहगार हैं , वो घूमते स्वतंत्र से
पंगु हो गया है संविधान इनकी जात पर
राजनीति की विधा का इस कदर हुआ पतन
सिर्फ चाटुकारों से , घिर गया है ये वतन
देख रहे हम फकत, हाथ धरे हाथ पर
कोई रोक टोक नहीं , चार दिन का शोर है
सबको अपनी फिक्र है ,सबका अपना जोर है
रो रहा आम आदमी अपने ही हालात पर
उठ के आओ सामने ,छीन लो तुम अपना हक़
मिल के एक बार फिर, इनको सिखा दो सबक
देश फिर चमन बने, हों फूल पात पात पर
Sunil_Telang/23/10/2012
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