Monday, October 29, 2012

SADAK KE AADMI





सड़क  के आदमी

हम सड़क के आदमी हैं, आम हैं
इसलिये अब तक बने ग़ुलाम हैं

देश तो आज़ाद है , पर हम नहीं
ज़ुल्म, अत्याचार अब भी कम नहीं 
कागजों में बस हमारे नाम हैं 

भूख मंहगाई गरीबी से लड़ाई
करते करते उम्र ये हमने बिताई
कल की चिंता  में ये सुबहो -शाम हैं 

राज तो कहते हैं अपना  आ गया है
ताज पाकर हर कोई बौरा गया  है 
बस  परेशां  देश की अवाम हैं 

Sunil_Telang/29/10/2012

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