ये देश
हम तमाशा तो नहीं हैं, हम भी इक इंसान हैं
ज़िन्दगी ऐसी हमारी , क्या तुम्हारी शान है
रोज़ चर्चा का विषय बनते हैं हम अखबार में
बन के बैठे हैं नुमाइश हम सरे बाज़ार में
बस फकत तस्वीर अपनी मीडिया की जान है
देश है संपन्न अपना , अन्न का भण्डार है
फिर भी क्यों दो रोटियां दो वक्त की दरकार हैं
क्या ये भूखा नंगा तन ही देश की पहचान है
कितनी सरकारें यहाँ आईं ,बहुत कुछ कह गईं
हम गरीबों की प्रगति बस आंकड़ों में रह गई
गर्व से कैसे कहें ये देश हिन्दोस्तान है
Sunil_Telang/21/10/2012
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