चुप रहो
चुप रहो, देखते बस रहो
अब जुबां से न तुम कुछ कहो
बोलने से जुबां मैली हो जायेगी
तेरे विश्वास को ठेस लग जायेगी
दर्द ऐसे ही सहते रहो
ज़िन्दगी में तू थोडा सा आराम रख
तू तो बस अपने ही काम से काम रख
तू परेशान जब तक न हो
ये तो हैं सिरफिरे जो उठाते है सर
जाने क्यों कर रहे देश की ये फिकर
आप लगते समझदार हो
कितने आये गये वो न कुछ कर सके
अब नहीं कोई जो देश पर मर सके
अपनी औकात में तुम रहो
Sunil_Telang/13/10/2012
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