यूँ तो हम तुम मिले नहीं हैं कभी
क्यों ये लगता है बस क़रीब हो तुम
बात दिल की तुम्ही समझते हो
कभी लगता है कुछ अजीब हो तुम
जब भी इस पेज पर विचरते हैं
आपका इंतज़ार रहता है
रोज़ सुनने को कुछ सुनाने को
दिल बड़ा बेकरार रहता है
ना कोई जात धर्म का बंधन
सारा जग अपनी राय लिखता है
हास, परिहास ज्ञान और चिंतन
तेरा सुख दुःख भी इसमें दिखता है
एक जरिया है ये मोहब्बत का
दिल के जज़्बात तुम दिखा देना
कभी नापाक शब्दों को लिखकर
इसकी गरिमा ना तुम मिटा देना
Sunil_Telang/07/10/2012
No comments:
Post a Comment