एक अहसास मुझको होता है
मेरी यादों को भूलने के लिये
कोई इक शख्स बहुत रोता है
दिल तो है चीज़ बड़ी नाज़ुक सी
एक ठोकर में टूट जाती है
मोल अश्कों का वही समझेगा
रोज तकिये को जो भिगोता है
कभी तनहाइयों में जो अक्सर
मेरे दिन रात के सहारे थे
चैन मिलता नहीं वो ख़त पढ़ के
और दिल बेकरार होता है
प्यार हद से कभी करो ज्यादा
कभी तनहाइयों में जो अक्सर
मेरे दिन रात के सहारे थे
चैन मिलता नहीं वो ख़त पढ़ के
और दिल बेकरार होता है
प्यार हद से कभी करो ज्यादा
बेरुखी में वो बदल जाता है
जो लुटाता है ज़िन्दगी अपनी
नींद और चैन वोही खोता है
मिल गया हो जो खुशनसीबी से
उसके जाने का कोई ग़म न करो
प्यार का बदला वफ़ा से मिलना
एक खुशफ़हम ख्वाब होता है
सुनील _तैलंग /14/10/2012
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