वो तबस्सुम तेरा , हुस्न वो लाजवाब
दिल तो लुटना ही था चांदनी रात में
बात दिल की न होठों पे हम ला सके
वो चले भी गये बात ही बात में
उनकी सूरत निगाहों में ऐसे बसी
लोग मिलते हैं पर दिल बहलता नहीं
सारे जलवे भी हमसे पराये हुये
कोई अपना नहीं ऐसे हालात में
क्या यही था तुम्हें चाहने का सिला
कुछ भी पाया नहीं दर्द-ए-दिल के सिवा
दो ख़ुशी के भी पल न मयस्सर हुये
उम्र गुजरी ग़मों से मुलाक़ात में
Sunil_Telang/09/10/2012
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