Tuesday, December 31, 2013

DO TASWEEREN


खुशियां बहुत मनाने को जी तो  चाहता है 
पर तेरे आंसुओं  का  ग़म  भी मुझे  पता है 

दो तस्वीरें 

इक  तरफ  है रौशनी  में जगमगाता ये जहां 
और  कुछ  सर्दी  में  ठिठुरे  ढूंढ़ते  हैं आशियाँ 

जश्न भी है जाम  भी  है हर तरफ हैं मस्तियाँ 
कोई  बैठा आस लेकर मिल  सकें  दो रोटियां

साल  बस  आते  रहे जाते  रहे बदला न कुछ 
फर्क  बढ़ता  जा रहा  है  बस  हमारे दरमियां 

आ  रहा  बदलाव  की उम्मीद ले कर नववर्ष
है दुआ बस हर ख़ुशी मिलती रहे सबको यहाँ 

Sunil_Telang/31/12/2013  



  





Monday, December 30, 2013

SAADGI


सादगी

चलन  बदला  ज़माने   का   नई  तहज़ीब  आई   है 
तेरी   इस  सादगी  पर  सारी  दुनिया मुस्कुराई  है 
बुलंदी  पर   हैं   तेरा  हौसला और आसमां  मंज़िल 
हर इक आम आदमी के दिल में तूने छवि बनाई है 

Sunil _Telang /30/12/2013


Sunday, December 29, 2013

MUQADDAR


मुक़द्दर


Muqaddar  se  apne  Khafa  ho  na  itna 
Koi  tujhse  zyada  bhi  Ghamgeen hoga
Jo  tujhko  mila  hai Wo  kafi samajh  le
Ye aalam ghamon ka bhi Rangeen hoga 

मुक़द्दर  से  अपने  खफा  हो  ना  इतना 
कोई  तुझसे  ज्यादा  भी ग़मगीन होगा 
जो तुझको मिला है वो काफी समझ ले 
ये   आलम  ग़मों   का  भी  रंगीन  होगा 

Sunil_Telang/29/12/2013



Friday, December 27, 2013

AAYEGA SWARAAJ




आयेगा  स्वराज 

दीप   उम्मीदों   के  जलते  जा  रहे  हैं 
रुख   हवाओं   के  बदलते  जा   रहे  हैं 

आ गया  है राज अब आम आदमी का
गर्दिशों   के  साये   ढलते   जा   रहे  हैं

अपनी ज़िद में राज सिंहासन लुटा के 
कुछ  सयाने  हाथ  मलते  जा  रहे   हैं 

मच  गया   हड़कम्प  भ्रष्टाचारियों  में 
तिकड़मों   के  दौर  चलते  जा  रहे  हैं 

आयेगा    स्वराज      देखेगा  ज़माना 
ख्वाब अब आँखों में पलते  जा  रहे हैं 

Sunil_Telang/27/12/2013




Thursday, December 19, 2013

BOJH



बोझ 

बोझ   मैं    था   बता  दिया  होता 
बेवफाई   का    ना    ग़ुमां    होता 

दो कदम चल के लौटना था तुम्हें 

कैसे   मंज़िल   का  फैसला  होता 

तेरी फुरकत का ग़म भी सह लेता 

पास  में   दिल   जो   दूसरा  होता 

बात  तेरे  भी  दिल  की  सुन लेता  
काश  ये   दिल   ना  बेजुबां   होता 

अपनी उल्फत पे  नाज़  मैं करता 
साथ    तेरा   अगर   मिला   होता 

Sunil_Telang/19/12/2013





Wednesday, December 18, 2013

EKMAT



एकमत

अन्ना   खुश   हैं,  देश   हुआ   नाराज़  अगर  तो   होने  दो 
ख़त्म   हुआ  अनशन  भी  अब  दो  घड़ी  चैन  से  सोने  दो

हुये   एकमत  आज   सदन  दोनों  संसद  के  पहली   बार  

अन्ना  की  खातिर सबकी  आँखों में उमड़  उठा  है  प्यार 
पश्चाताप   भरे  नयनों   को   बस   इक  बार  तो  रोने  दो 

लोग  अचम्भे  में  हैं,  क्या  माँगा  था  हमने,  मिला  है  क्या  
न्याय मिल गया फरियादी को तुझको शिकवा गिला है क्या 
राजनीति   का   मूल  मन्त्र  खो   गया  अगर  तो  खोने   दो 

देश  बड़ा  है  अपना  सब  को  कैसे  खुश   हम  रख  पायेंगे 
लोग  सरफिरे  भी   है   कुछ,   जो   अपनी   टांग  फँसायेंगे 
हमें   फिकर  जनता  की   है , बहलाओ , नये   खिलौने  दो 

Sunil _Telang /18/12/2013





Sunday, December 15, 2013

SAMARTHAN



समर्थन 

अभी  ठहरो ज़रा क्यों  इस  कदर  बेताब  होते   हो 
कहा  क्या  आज  हमने आप  अपना  चैन  खोते हो 

हमें  नादाँ  समझते  हो तो  कोई  ग़म  नहीं  हमको 
मगर अपनी हिमाकत पर भला क्यों आज रोते हो 

सदा  करते  रहे   वादा  खिलाफी   आम  जनता  से
गया मौका तो अब किस के लिये आँखें  भिगोते हो 

समर्थन  दे  दिया  बेशर्त  तो  फिर  सोचना  है क्या 
फसल  वैसी   ही  तुम  पाओगे  जैसे  बीज  बोते  हो 

Sunil_Telang.15/12/2013

 





HAUSLA


हौसला

गुज़र  जायेगी  ये  भी  रात  थोड़ा  हौसला रखना
बदल  जायेंगे  ये   हालात  थोड़ा   हौसला  रखना
नतीजा चाहे कुछ भी निकले तेरा जीतना तय है 
तेरे बस  में  नहीं   ये  बात  थोड़ा  हौसला  रखना 

Sunil _Telang 07/12/2013

Saturday, December 14, 2013

NEEYAT


नीयत

मिलेगा  क्या  हमें  देखा  कभी   सोचा  नहीं   है 
हमें  अनुभव  अभी  कुछ राजनीति  का नहीं है 

नहीं ख्वाहिश हमारी थी कि सर पर ताज आये
मगर  अब  ये  ज़रुरत  है  कोई  धोखा  नहीं   है

ग़रीबी,   भूख,   भ्रष्टाचार,   मंहगाई    की   चर्चा   
करेगा क्या  वो  जो  इस  दौर से गुज़रा नहीं  है

हमें तुम लालची, ज़िद्दी कहो, समझो  या जानो 
मगर आम  आदमी  अब देश  का बच्चा नहीं है 

नहीं अब वक़्त बातों का चलो कुछ कर दिखायें 
हो नीयत साफ़ तो मुश्किल कोई  रस्ता नहीं हैं 

Sunil_Telang/14/12/2013










Thursday, December 12, 2013

CHINGAARI


चिंगारी

सुलग  उठी   है  चिंगारी  ये  बन   के  आग  फैलेगी 
ज़मीं से आसमां तक सबको अपनी हद में ले लेगी 

हमें  तिनके  नहीं  समझो जो  उड़ जायें हवाओं में 
ये  दीवानों की  टोली  अब  तो  हर  तूफ़ान झेलेगी

लड़ेगा  देश  का  हर  नौजवां  हक़  की  लड़ाई  को 
ना  अब  गैरों  के  हाथों  में  कोई   तक़दीर खेलेगी

यकीं जिसने किया खुद पर सितारे की तरह चमका
तेरे  ख़्वाबों  की दुनिया  भी  हकीकत रूप ले लेगी 

Sunil_Telang/12/12/2013






Saturday, December 7, 2013

BUNIYAAD


बुनियाद

नहीं  फुर्सत किसी को जो उठा के इक नज़र देखें 
गुज़रता  है  यूँ  ही  बचपन  इधर  देखें  उधर देखें 
बड़ी  उम्मीद से  सब  देखते   हम नौनिहालों को 
बिना  बुनियाद  के   कैसे  ठहर  पायेंगे   घर देखें 

Sunil_Telang/07/12/2013


Wednesday, December 4, 2013

NATEEJA


नतीजा 

नतीजा सब्र  और मेहनत का तेरे हक़ में आयेगा 
हुकुमरानों   पे   तेरा  वार  ये  खाली  ना  जायेगा 
अभी सत्ता  के मद में हैसियत तेरी न जो समझा   
यही आम आदमी अब ख़ास बनकर राज पायेगा 

Sunil_Telang/04/12/2013

ILTIZA

इल्तिज़ा

किस  कदर जनता की  थी  उनको फिकर ये देखिये  
ड्राई    डे    में    लोग   थे    बेचैन    दारु    के   लिये  
कर   दिया  सबका गला  तर जान जोखिम में  लिये
इल्तिज़ा  इतनी  सी  थी  बस  वोट हम  को दीजिये 

Sunil _Telang


Tuesday, December 3, 2013

NABZ


नब्ज़ 

नब्ज़  जनता  की  समझ पाते  नहीं  हैं 
फिर  भी  कुर्सी  छोड़कर  जाते  नहीं  हैं 

खुद  ही  लड़ना  है  तुझे  अपनी  लड़ाई 
वो  कभी  ज़ख्मों  को  सहलाते नहीं  हैं 

रोज़  मिलते  हैं  लगा कर इक  मुखौटा 
असलियत अपनी वो दिखलाते नहीं हैं 

दूसरों  की  ग़लतियाँ   रहतीं  जुबां  पर 
दाग  अपने  तो  नज़र   आते   नहीं   हैं 

जानकर फिर भी उन्हें सर  क्यों चढ़ायें 
दुःख  में  तेरे   काम  जो  आते  नहीं  हैं 

Sunil_Telang/03/12/2013

Sunday, December 1, 2013

KUNDAN


कुन्दन 

अभी तक ना समझ पाये जो उनका कौन अपना है 
तेरा  स्वराज  तो उन  के  लिये  बस  एक  सपना है 

लुटायेंगे  जो  अपना वोट  धन  के  लोभ लालच  में 
उन्हें  फिर पांच बरसों तक यूँ  ही  रोना कलपना है 

ज़रा  पहचान  लो  जो  आज दिखलाते   हैं  हमदर्दी  
बगल  में  इक  छुरी रख कर जुबां से राम जपना है 

दिखावे  की  चमक  पाकर नहीं  कुन्दन हुआ  कोई 
उसे  सूरज  की  गर्मी  में  भी  पहले  रोज़  तपना  है  

Sunil _Telang / 01/12/2013

Friday, November 29, 2013

AJNABEE


अजनबी

छुपाते क्यों हो ज़ख्म अपने निकल कर सामने आओ 
मिलेगा  फिर  ना  ये  मौका  वही  ग़लती  न दोहराओ

किया ना काम कुछ ऐसा कि जिस पर गर्व हो तुझको 
करो कुछ नाम अपना भी न अब खुद पर तरस खाओ 

फना  होने  के  मौके   खुशनसीबों  को   ही  मिलते  हैं
वतन के वास्ते कुछ कर सको  ये  दिल को  समझाओ

ज़मीं अपनी वतन अपना  मगर  इक अजनबी  सा तू 
ये अपनों  में  पराये  कौन  हैं  दुनिया  को  दिखलाओ 

Sunil_Telang/29/11/2013


Thursday, November 28, 2013

SAANI


सानी

ज़माना कुछ भी  कहता हो तेरा  कोई नहीं सानी 
कोई  तो  बात  है  तुझमे हुई  जनता  ये  दीवानी 

बड़ी  उम्मीद  लेकर  ताकते  सब  तेरे  चेहरे  को
हज़ारों  साज़िशें  और  रंजिशें   हैं  आज  बेमानी 

लड़ाई न्याय और अन्याय की लड़ने  चला  है  तू  
डिगा सकता नहीं  कोई जो  तूने मन में  है ठानी 

नहीं हिम्मत किसी में जो मुकाबिल आ सके तेरे 
तेरे  इस  हौसले  को  देख   दुश्मन  मांगते  पानी 

खुदा है साथ तेरे वक़्त वो  भी  आयेगा  इक दिन 
तेरे  स्वराज  की  लौ   से  जहां  होगा  ये  नूरानी 

Sunil_Telang/28/11/2013






MUSKAAN


मुस्कान 

समझ कर इक बुरा सपना ग़मों को तुम भुला डालो 
उजाले  की  किरण  को  देख कर फिर हौसला पालो
अँधेरा  हो  घना  कितना  सुबह  को  रोक  ना  पाया
लबों  पर  इक नयी मुस्कान रख कर  दर्द अपना लो 

Sunil_Telang/28/11/2013












Wednesday, November 27, 2013

AAZAD


आज़ाद

रोज़   बस   आरोप  प्रत्यारोप  का है सिलसिला 
कोई  तो  देखे यहाँ हमको अभी तक क्या मिला 

रोज़ी  रोटी  की  फिकर  में  कट रहे दिन रात हैं
हर  ख़ुशी  के साथ चलता है  ग़मों  का काफिला
 

हम  ग़रीबों  के  लिये   कितने  बजट  बनते रहे  
घर  ना  दे  पाये  बने  उनके  महल  बहुमंज़िला 

लोग  बस  आते  रहे   हम  पर  तरस  खाते  रहे
छीन  कर  के  हक़  हमारा राज ये उनको मिला 

लोग  कहते  हैं  वतन  आज़ाद  अपना  हो  गया   
लूटते  अपने  यहाँ  अब क्या करें शिकवा गिला 

Sunil_Telang/27/11/2013








Tuesday, November 26, 2013

SABAK



सबक

अभी  थक   कर ना  यूँ  बैठो 
बहुत  कुछ  काम  करना  है 
ना आये जब तलक  मंज़िल 
नहीं    आराम     करना    है 

अगर गिरते  हो   उठ  जाना
लगे   ठोकर   संभल   जाना 
रुकेंगे   अब  ना   ये   एलान 
खुल्ले -आम       करना     है  

बढ़ो आगे सबक सिखला दो
अब    फिरका-परस्तों    को 
जिन्हें  मतलब  की  खातिर 
ये  वतन  नीलाम करना  है 

डगर    सच्चाई    नेकी    की 
कभी    आसां     नहीं    होती 
नये       रस्ते      बनाने    में 
ये    सुबहो  शाम   करना  है

Sunil _Telang/26/11/2013





Saturday, November 23, 2013

JIMMEDARI



जिम्मेदारी

गुमशुदा  सच्चाई  और  ईमानदारी  हो   गई  है 
छल  कपट  की राजनीति आज तारी हो गई  है 

कोई  उपलब्धि नहीं, लब पे नया है बस बहाना
दूसरों  को  कोसने  की  इक  बीमारी  हो गई है 

रोज़ होती मीडिया पर  इक दिखावे  की  लड़ाई 
अन्दरूनी   आपसी   इक  राज़दारी  हो   गई  है 

मान  बैठे  आज धनबल, बाहुबल  ही  रास्ता है 
आम जन  को  बरगलाने  की  तैयारी हो गई है 

वक़्त आया  है  करें फिरकापरस्तों से किनारा 
ये कवायद अब सभी  की जिम्मेदारी हो गई है 

Sunil_Telang/23/11/2013

Friday, November 22, 2013

VAZOOD


वज़ूद

तन  है  नंगा , पेट  खाली, ना  मिला  रहने  को घर 
फेर    लेते    हैं   निगाहें    लोग   हमको   देख   कर 
उम्र  बीती , वोट   की   खातिर  रहा   अपना  वज़ूद 
और   भी   मुद्दे   ज़रूरी   हैं  मगर   किसको फिकर 

Sunil_Telang/21/11/2013


Thursday, November 21, 2013

SHOHRAT


शोहरत 

तिलमिलाहट  बौखलाहट अब नज़र आने  लगी 
आप   की   मौज़ूदगी  अब  रंग   दिखलाने  लगी 

उड़  गई  मुस्कान  लब  से  राज़  सारे  खुल  गये

रोज़    झूठे    मामलों   पर  बहस  गरमाने  लगी  

भाईचारा आपसी  कुछ  इस  कदर  कायम हुआ

एक  सुर   में   गीत   हर   इक  पार्टी  गाने  लगी 

आड़   लेकर  दुष्प्रचारों    की   गिला  करने  लगे 
जब   लगा   सत्ता  ये  उनके  हाथ  से  जाने  लगी 

मूल  मुद्दे  भूल  कर  जब  तिकड़में  चलने   लगी 
आप ताक़त और शोहरत दिन ब दिन पाने लगी 

Sunil_Telang/21/11/2013





Wednesday, November 20, 2013

SOCH


सोच 

वोटरों   को   फिर   मनाने   आ   गये 
अपनी  किस्मत  आजमाने  आ  गये 

क्या किया इतने बरस बतलायें क्या 
लब   पे   फिर   झूठे   बहाने  आ  गये 

भूल     कर    बेशर्मियां    नाकामियां 
ख्वाब   सतरंगी   दिखाने   आ    गये 

दिल  में  डर  है  चेहरे पे  फीकी  हंसी 
फिर   भी  हमदर्दी   जताने   आ  गये 

अब  हुई  है  आम जनता की  फिकर 
पैकिजों   से    दिल लुभाने   आ  गये 

वक़्त  बदला  सोच  ना  बदली  मगर 
फिर   वही   चेहरे   पुराने    आ    गये

Sunil_Telang/20/11/2013

Saturday, November 16, 2013

ALVIDA SACHIN


अलविदा सचिन

आयेंगे  कितने  खिलाड़ी,  जायेंगे  हो  के विदा 
पर  सचिन  तेरा  कोई  सानी  नहीं  तेरे  सिवा

इक  नये  युग  की  हुई  शुरुआत  सबके देखते 
रच  दिये  कितने  नये   इतिहास हँसते खेलते
तेरे आगे  चाँद सूरज  का  भी  कद  बौना  हुआ 

अश्रुपूरित  नयनों   से   दी   है  विदाई  देश   ने 
तेरे  कारण  नाम  शोहरत  आज  पाई  देश  ने
मानता  आदर्श  तुझ  को  देश  का  हर नौजवां  

Sunil_Telang/16/11/2013

Friday, November 15, 2013

BAHAS



बहस 


भूल   कर   मुद्दे   ज़रूरी    इक  बहस  होती  रही 
भूख  से  व्याकुल  गरीबी  रात  दिन  रोती  रही 

हर किसी  को  फ़िक्र थी  शालीनता  भाषा में हो 
पर   जुबानी   जंग    मर्यादा  वहीं   खोती    रही 

आपसी    छींटाकशी   में  वक़्त  सारा  ढल  गया 
बुत परस्ती   नफरतों  के  बीज  बस  बोती  रही

सिर्फ "मैं" का ज़िक्र है जागी है सता  की  ललक 
लूट ,  भ्रष्टाचार,    मंहगाई     कहीं    सोती    रही

आम  जन   से   दूर  जनता   के   नुमाइन्दे   हुये 
इतने  बरसों  तक ये जनता बोझ  बस ढोती रही

Sunil_Telang/15/11/2013 







Thursday, November 14, 2013

SIRF EK VOTE


सिर्फ एक वोट 

सिर्फ  इक  मुस्कान  से  शुरुआत होती दोस्ती की 
एक   मीठी    बात   से   दीवार  टूटे     दुश्मनी  की 
दूर  कर  देती अँधेरा  इक  किरन  बस रौशनी की 
एक  हस्ती  से  बदल  जाती रवानी  ज़िन्दगी  की 

कतरा कतरा बूँद का मिल कर बना देता है सागर 
ज़र्रे   से   ज़र्रा   मिला  है  तब बना सेहरा धरा पर 
इक  सिकन्दर  के  अनूठे  हौसले ने दुनिया जीती
एक   तेरे  वोट   से  बदलेगी  इक  दिन  राजनीति  

आज अपने आप को पहचान तू कुछ नाज़  कर ले 
वोट की  ताक़त दिखा के आज अपना राज कर ले
ठान   लो   इस   बार   भ्रष्टाचारियों   को  चोट  देंगे 
चाहे  कुछ  भी  काम आये  सबसे  पहले  वोट  देंगे  

Sunil_Telang/14/11/2013 


Wednesday, November 13, 2013

BAAJIGAR



बाजीगर

क्या   हुआ  हमसे  खफा  वो इस कदर होने लगे 
आम जनता   के   ये   मुद्दे   दर्दे - सर  होने लगे 

हमने बस इतना ही पूछा क्या किया इतने बरस
आंकड़ों  के   खेल   के   वो   बाजीगर  होने  लगे 


दल  बदल कर आ ज फिर उतरे हैं  वो मैदान में
फिर किसी  घोटाले का ना अब ज़िकर होने लगे

कुछ  नये  मुद्दे  भी  शामिल  घोषणा-पत्रों  में है
लूट    भ्रष्टाचार   तो   अब   बे-असर  होने  लगे

सामने   जब  पार्टियों   की  हक़ीक़त  खुल  गई
उनके   तीरों   के  निशाने "आप"  पर होने लगे 


Sunil_Telang/09/11/2013

Tuesday, November 12, 2013

MAJAAL


मजाल

उपलब्धियां नही  है अब कैसे  मुंह  दिखायें 
अच्छा  है दूसरों की कमियों को ही गिनायें 

लोगों को फिर मिलेगा ताज़ा बहस का मुद्दा 
झूठे   हों   चाहे   सच्चे  आरोप  मढ़ते  जायें  

जनता तो है भुलक्कड़ भूलेगी पिछली बातें 
कुछ लोक लुभावन फिर करते  हैं घोषणायें 

हम  तो  हैं लोक सेवक जनता  के  हैं  दुलारे 
किसकी मजाल है जो  कुछ हमसे पूछ पायें

आई   हैं   कुछ    जमातें   ईमान   के   सहारे
क्या   देश   चलायेंगी   अब  आप  ही बतायें 

Sunil_Telang/12/11/2013






VOTE DENGE






वोट देंगे


नाक में दम कर दिया है लूट भ्रष्टाचार ने 

तोड़ डाली है कमर मंहगाई की इस मार ने 


बाँट रखा है दिलों को धर्म की दीवार ने 


तंत्र पंगु कर दिया है वोट के व्यापार ने 


तू ज़रा पहचान ले अब कौन है अपना तेरा 


वक़्त आया है हकीकत ये बने सपना तेरा 


देश में अब हर किसी को वोट का अधिकार है 


वोट दो  हर हाल में  ये  कह रही सरकार है 


आज अपने वोट की तू अहमियत पहचान ले


चाहे कुछ हो वोट देंगे  आज मन में ठान ले 

Sunil_Telang/12/11/2013

Sunday, November 10, 2013

VISHWAAS



विश्वास

नाक  में  दम  कर दिया  है  लूट भ्रष्टाचार ने 
तोड़ डाली है कमर मंहगाई की  इस मार ने 

बाँट  रखा  है  दिलों  को  धर्म  की  दीवार ने 
तंत्र  पंगु  कर  दिया  है  वोट  के व्यापार  ने 

आदमी जब  बेबसी में  बैठा  हिम्मत हारने 
सामने  आया कोई   बन  के  मसीहा  तारने 

तू  ज़रा पहचान ले अब कौन  है अपना तेरा 
वक़्त आया  है  हकीकत ये  बने सपना तेरा 

इस  निराशा के भंवर में "आप" ही की आस  है 
"आप" के  ऊपर  टिका  इस देश का विश्वास है 

Sunil_Telang/10/11/2013

  



Thursday, November 7, 2013

MEHARBANI



मेहरबानी

परेशानी  अगर  है  फिर  मेहरबानी  क्यों  करते  हैं 
समझ  के, बूझ  के  भी  लोग नादानी क्यों  करते हैं 

भुला  देते  हैं  वो  ज़ुल्मो सितम, वो हादसों का दौर 

कलेजे  में  धधकती  आग  को  पानी  क्यों करते हैं 

वही  फिर जात धर्मों का छलावा, लोभ और लालच

उलझ कर जाल  में, उनकी कदरदानी क्यों करते हैं 

रहो   चुपचाप,   घर    बैठे   तमाशा   देखते    रहिये 
हमेशा  ज्ञान  की  बातें   ये  अज्ञानी  क्यों  करते  हैं 



Sunil _Telang /07/11/2013








Wednesday, November 6, 2013

BHAROSA



Wahi chehre, Wahi hulchal,Wahi ummeed wari hai
Bhula kar haadse, Rassa kashi  ka  khel  jaari hai

भरोसा

तरस  उन  पर  नहीं  आता  खड़े   हैं  जो चुनाव में 
गिला  उनसे   हमें   है  जो  पड़े  हैं  इनके  पांव  में 

चढ़ा रखा है सर  पर  मान  के  इनको खुदा अपना 
तपिश खुद झेलते रहते  हैं  इनको रख के छाँव में 

बहुत खुशहाल लगते एक फोटो साथ खिंचवा कर 
तरसते   रोजी  रोटी   को  शहर  में हों या गाँव में 

भरोसा कर  के  अक्सर  नाखुदा  पर  डूबते  हैं  वो 
नज़र आते नहीं जिनको  हैं  कितने  छेद  नाव  में  

Sunil_Telang/06/11/2013


MANZIL



मंज़िल

लोगों की जुबां का  क्या  है रोज़ ही कुछ कहना 
बेकार  की   बातों   से  बस  दूर  ही  तुम  रहना 
भटका  ना  सकेंगे तेरे कदमों को वो मंज़िल से 
सच्चाई के  रस्ते  पर  पड़ता  है   बहुत   सहना

Sunil_Telang/05/11/2013


Monday, November 4, 2013

KAISI DEEWALI

कैसी दीवाली 
इक  ओर  थी  उजालों  में  क़ायनात  खोई 
इक  ओर  भूखा प्यासा  बैठा हुआ था कोई 
ये  कैसी दीवाली  थी जिसमें ख़ुशी भी रोई 

जो  भी  हुई   थी  सारे परिवार  की कमाई 

इक सरफिरे पिता  ने मय खाने  में लुटाई 
माँ  बाप  में  हुई  थी  फिर  रात भर लड़ाई 
ना  कोई  बम  पटाखे  ना आ सकी मिठाई 

अँधेरी  कोठरी   में   दीपक  जला  न  कोई 

बेटा   डरा    था,  सहमी  बेटी  उदास  सोई 
ये  कैसी दीवाली  थी जिसमें ख़ुशी भी रोई 

कुछ  लोग जी रहे  हैं दिल  में  लिये  बुराई 
हर रोज़ की नसीहत उन को  ना रोक पाई 
ये जुआ  शराब की लत  करती है  बेवफाई 
दो पल की है ये मस्ती बाकी है जग हँसाई

जिसने भी अपने घर में विष की ये बेल बोई 
जीते हुये  भी  उसने  पहचान  अपनी  खोई  
ये  कैसी  दीवाली  थी  जिसमें ख़ुशी भी रोई 

Sunil _Telang /04 /11 /2013 







Saturday, November 2, 2013

CHIKNE GHADE





चिकने  घड़े 

चिकने  घड़ों  पे   कोई  होता  असर  नहीं   है 
मौसम  बदल  गया  है  उनको  खबर  नहीं है 

तुम  लड़  रहे लड़ाई जनता के न्याय हक़ की 
वो    सोचते   कवायद  ये   कारगर   नहीं   है 

जनता  तो  है भुलक्कड़, भूलेगी सब घोटाले 
ठुकरायेगी किसी दिन इसका भी डर नहीं है 

हिम्मत  नहीं किसी  में  आये तेरे मुक़ाबिल 
लब पर हँसी है फीकी  लेकिन जिगर नहीं है 

मानें वो  या ना मानें  इतना मगर  समझ लें 
ये   अंधे, गूंगे , बहरों  का अब  शहर  नहीं  है 

Sunil_Telang/02/11/2013







Friday, November 1, 2013

INSAANIYAT


इंसानियत

जो मिलता है बहुत होगा अगर मिल  बाँट कर खायें
कभी    छोटे   परिंदे  जीव  भी कुछ   सीख   दे   जायें 
वो  ही  इन्सां  हैं जो  इंसानियत को  दिल में रखते हैं 
मिले  सच्ची  ख़ुशी  जब    दूसरों    के   दर्द  अपनायें 

Sunil_Telang/01/11/2013








Thursday, October 31, 2013

TYOHAAR



त्यौहार 

उजालों    की   चमक   में  ग़म   के  अँधेरे  छुपाते   हैं 
बने   हैं   बोझ   ये   त्यौहार  हम  फिर  भी  मनाते हैं  

बिगाड़ा   है   बजट    घर   का  हुई  कैसी  ये  मंहगाई  

बढ़ी   रौनक   बाज़ारों   की   मगर  सब   हैं तमाशाई 
महज़  कीमत  ही  बस  हम पूछकर घर लौट आते हैं

बनी  मेहमां- नवाजी  भी  महज़  इक औपचारिकता 
वो हर्षोल्लास अपनापन भी उतना अब नहीं दिखता
ये   झूठी  शानो-शौकत  का  नज़ारा  सब  दिखाते  हैं

इलेक्ट्रॉनिक्स  ने  कितने  गरीबों   को   रुला   डाला    

दिये   बाती   हुये    कम  आ  गईं  हैं चायनीज़ माला 
मिठाई  छोड़कर  अब   ड्राई   फ्रूट  बादाम   लाते   हैं 

ज़रुरत  आ  पड़ी  है  खर्च  पर  अब कुछ  नियंत्रण हो 
पटाखों  का चलन  हो  कम हवा  में  कम  प्रदूषण हो
रहे   खुशहाल   जग   सारा   ये   उम्मीदें    जताते  हैं  

Sunil_Telang/31/10/2013





Wednesday, October 30, 2013

HASRATEN



हसरतें

तमाम हसरतें  यूँ  ही  तमाम  हो गईं 
शिकायतें कुछ और तेरे नाम  हो गईं 
यकीन  करते  रहे  तेरे  झूठे वादों पर 
मोहब्बतें भी हुस्न की ग़ुलाम हो गईं 

Sunil_Telang






Monday, October 28, 2013

DEEWALI



ज़िक्र अपना रात दिन चलता रहेगा 

गुमशुदा  बचपन यूँ ही पलता  रहेगा 
हम गरीबों की  प्रगति की आड़ लेकर 
घर किसी  का  फूलता  फलता रहेगा 

दीवाली

मिल जायें  जो  दो  रोटी  तो अपनी दीवाली है 
घर   तुमने  भरे   होंगे   ये    पेट  तो  खाली   है 

क्या होती  हैं  ये  खुशियां कैसे  अभी बतलायें 

हमने  तो   ग़मों   में   ही  ये  उम्र  निकाली   है 

दीपों  की  चमक  में   ये   रंगीन  हुई    दुनिया 

पीछे   भी   जरा   देखो   तस्वीर  ये   काली  है 

रहते   हैं   अकेले   
हम  त्यौहार  हों   या   मेले   
कहते   हैं    गरीबों    की  सरकार   निराली  है 

है आसमां छत अपनी बिस्तर ये ज़मीं अपना
दुनिया  से  अलग हमने दुनिया ये बना ली है 

Sunil_Telang/28/10/2013