Sunday, December 1, 2013

KUNDAN


कुन्दन 

अभी तक ना समझ पाये जो उनका कौन अपना है 
तेरा  स्वराज  तो उन  के  लिये  बस  एक  सपना है 

लुटायेंगे  जो  अपना वोट  धन  के  लोभ लालच  में 
उन्हें  फिर पांच बरसों तक यूँ  ही  रोना कलपना है 

ज़रा  पहचान  लो  जो  आज दिखलाते   हैं  हमदर्दी  
बगल  में  इक  छुरी रख कर जुबां से राम जपना है 

दिखावे  की  चमक  पाकर नहीं  कुन्दन हुआ  कोई 
उसे  सूरज  की  गर्मी  में  भी  पहले  रोज़  तपना  है  

Sunil _Telang / 01/12/2013

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