सोच
वोटरों को फिर मनाने आ गये
अपनी किस्मत आजमाने आ गये
क्या किया इतने बरस बतलायें क्या
लब पे फिर झूठे बहाने आ गये
भूल कर बेशर्मियां नाकामियां
ख्वाब सतरंगी दिखाने आ गये
दिल में डर है चेहरे पे फीकी हंसी
फिर भी हमदर्दी जताने आ गये
अब हुई है आम जनता की फिकर
पैकिजों से दिल लुभाने आ गये
वक़्त बदला सोच ना बदली मगर
फिर वही चेहरे पुराने आ गये
Sunil_Telang/20/11/2013
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