समर्थन
कहा क्या आज हमने आप अपना चैन खोते हो
हमें नादाँ समझते हो तो कोई ग़म नहीं हमको
मगर अपनी हिमाकत पर भला क्यों आज रोते हो
सदा करते रहे वादा खिलाफी आम जनता से
गया मौका तो अब किस के लिये आँखें भिगोते हो
समर्थन दे दिया बेशर्त तो फिर सोचना है क्या
फसल वैसी ही तुम पाओगे जैसे बीज बोते हो
Sunil_Telang.15/12/2013
No comments:
Post a Comment