Friday, November 29, 2013

AJNABEE


अजनबी

छुपाते क्यों हो ज़ख्म अपने निकल कर सामने आओ 
मिलेगा  फिर  ना  ये  मौका  वही  ग़लती  न दोहराओ

किया ना काम कुछ ऐसा कि जिस पर गर्व हो तुझको 
करो कुछ नाम अपना भी न अब खुद पर तरस खाओ 

फना  होने  के  मौके   खुशनसीबों  को   ही  मिलते  हैं
वतन के वास्ते कुछ कर सको  ये  दिल को  समझाओ

ज़मीं अपनी वतन अपना  मगर  इक अजनबी  सा तू 
ये अपनों  में  पराये  कौन  हैं  दुनिया  को  दिखलाओ 

Sunil_Telang/29/11/2013


No comments:

Post a Comment