मजाल
उपलब्धियां नही है अब कैसे मुंह दिखायें
अच्छा है दूसरों की कमियों को ही गिनायें
लोगों को फिर मिलेगा ताज़ा बहस का मुद्दा
झूठे हों चाहे सच्चे आरोप मढ़ते जायें
जनता तो है भुलक्कड़ भूलेगी पिछली बातें
कुछ लोक लुभावन फिर करते हैं घोषणायें
हम तो हैं लोक सेवक जनता के हैं दुलारे
किसकी मजाल है जो कुछ हमसे पूछ पायें
आई हैं कुछ जमातें ईमान के सहारे
क्या देश चलायेंगी अब आप ही बतायें
Sunil_Telang/12/11/2013
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