जिम्मेदारी
गुमशुदा सच्चाई और ईमानदारी हो गई है
छल कपट की राजनीति आज तारी हो गई है
कोई उपलब्धि नहीं, लब पे नया है बस बहाना
दूसरों को कोसने की इक बीमारी हो गई है
रोज़ होती मीडिया पर इक दिखावे की लड़ाई
अन्दरूनी आपसी इक राज़दारी हो गई है
मान बैठे आज धनबल, बाहुबल ही रास्ता है
आम जन को बरगलाने की तैयारी हो गई है
वक़्त आया है करें फिरकापरस्तों से किनारा
ये कवायद अब सभी की जिम्मेदारी हो गई है
Sunil_Telang/23/11/2013
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