Wahi chehre, Wahi hulchal,Wahi ummeed wari hai
Bhula kar haadse, Rassa kashi ka khel jaari hai
भरोसा
तरस उन पर नहीं आता खड़े हैं जो चुनाव में
गिला उनसे हमें है जो पड़े हैं इनके पांव में
चढ़ा रखा है सर पर मान के इनको खुदा अपना
तपिश खुद झेलते रहते हैं इनको रख के छाँव में
बहुत खुशहाल लगते एक फोटो साथ खिंचवा कर
तरसते रोजी रोटी को शहर में हों या गाँव में
भरोसा कर के अक्सर नाखुदा पर डूबते हैं वो
नज़र आते नहीं जिनको हैं कितने छेद नाव में
Sunil_Telang/06/11/2013
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