मेहरबानी
परेशानी अगर है फिर मेहरबानी क्यों करते हैं
समझ के, बूझ के भी लोग नादानी क्यों करते हैं
भुला देते हैं वो ज़ुल्मो सितम, वो हादसों का दौर
कलेजे में धधकती आग को पानी क्यों करते हैं
वही फिर जात धर्मों का छलावा, लोभ और लालच
उलझ कर जाल में, उनकी कदरदानी क्यों करते हैं
रहो चुपचाप, घर बैठे तमाशा देखते रहिये
हमेशा ज्ञान की बातें ये अज्ञानी क्यों करते हैं
Sunil _Telang /07/11/2013
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