Thursday, November 28, 2013

MUSKAAN


मुस्कान 

समझ कर इक बुरा सपना ग़मों को तुम भुला डालो 
उजाले  की  किरण  को  देख कर फिर हौसला पालो
अँधेरा  हो  घना  कितना  सुबह  को  रोक  ना  पाया
लबों  पर  इक नयी मुस्कान रख कर  दर्द अपना लो 

Sunil_Telang/28/11/2013












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