Wednesday, October 31, 2012

DEKHE THE KHWAAB




देखे थे ख्वाब

देखे थे ख्वाब हमने, छू लेंगे आसमां को
लेकिन बचा न  पाये , अपने ही आशियां  को

करते गिला, अगर ये  दुश्मन का काम होता
बर्बाद कर दिया है अपनों ने इस जहां को

मंजिल है सामने , पर  बढ़ते  नहीं कदम हैं
डर  रहनुमाओं से है अपने ही कारवां को

होने लगे पशेमां " नादिर" भी "गजनबी" भी
लूटा है आज ऐसे अपने  हिन्दोस्तां को  (पशेमां-Ashamed,शर्मिन्दा )

चुप बैठ कर न  ऐसे  दुनिया बदल सकोगे
आना पड़ेगा आगे हर एक नौजवां को

Sunil_Telang


Tuesday, October 30, 2012

KHAIRAAT



खैरात 

कल तलक कालिख जमीं थी, आज उजले हो गये
घिसते घिसते लोग पीतल के सुनहले हो गये

दाग दामन के सभी के धुल गये इक रात में
मिल गया खिदमतगिरी  का सबको फल खैरात में
गर्द में लिपटे हुए चेहरे रुपहले हो गये

अपने ही गुणगान करना सबकी आदत बन गई
सिर्फ बुत को पूजना ही बस इबादत बन गई
इस ज़मीं पर कुछ खुदा रब से भी पहले हो गये

आने वाला है इलेक्शन अब लगी सबको फिकर 
भूख लाचारी गरीबी का भी अब होगा  जिकर
कितने दिन इस देश की जनता को बहले हो गये 

Sunil_Telang/29/10/2012

Monday, October 29, 2012

SADAK KE AADMI





सड़क  के आदमी

हम सड़क के आदमी हैं, आम हैं
इसलिये अब तक बने ग़ुलाम हैं

देश तो आज़ाद है , पर हम नहीं
ज़ुल्म, अत्याचार अब भी कम नहीं 
कागजों में बस हमारे नाम हैं 

भूख मंहगाई गरीबी से लड़ाई
करते करते उम्र ये हमने बिताई
कल की चिंता  में ये सुबहो -शाम हैं 

राज तो कहते हैं अपना  आ गया है
ताज पाकर हर कोई बौरा गया  है 
बस  परेशां  देश की अवाम हैं 

Sunil_Telang/29/10/2012

Friday, October 26, 2012

BOLIYE JI BOLIYE


बोलिये जी बोलिये

बोलिये जी बोलिये
आँख  कान बंद रख के पहले लफ्ज़ तोलिये 
अपनी पोल खुलती हो तो सब की पोल खोलिये

इस हमाम में सभी हैं नंगे देख जाइये
जो खड़ा हो कपडे पहन कर उसे सताइये
लाज शर्म  भूल कर के अपने कपडे खोलिये 

मुस्कुराके दीजिये जवाब सब की बात का
कह दें ये तो काम है विपक्ष की जमात का 
जाके के एक बार उनके घर को भी टटोलिये

पार्टी कोई भी हो ये चक्र  ना बदल सका 
भ्रष्ट तंत्र  में  जो फंस गया न  फिर संभल सका 
हमने भी बहती हई गंगा में हाथ धो लिये

बोलिये जी बोलिये 

Sunil_Telang/26/10/2012

Thursday, October 25, 2012

KYA HUA





क्या हुआ 

सुर बदलते दिख रहे हर पार्टी के

उड़ गए है रंग चेहरों से सभी के

मुस्कराहट अजनबी सी हो गई है
वो चमक,वो आक्रामकता खो गई है
क्या हुआ क्यों पड़ गये है रंग फीके

भाईचारा आपसी कायम हुआ है 
शोर तू तू मैं मैं का कुछ कम हुआ  है  
मायने बदले हुए हैं दोस्ती  के

वो जो कहते थे किसी का डर नहीं है
अब जुबां चुप है, कोई उत्तर नहीं है
प्रश्न थे  चिल्लर,सभी आम आदमी के

Sunil_Telang/25/10/2012

Wednesday, October 24, 2012

DO GHAZ ZAMEEN




दो ग़ज़ ज़मीं 

वो बड़े हैं तुम सड़क के आदमी
देखते रहते हो बस उनकी कमी

शोहरत छूती है उनकी आसमां
तुमको तो हासिल न हो पाई ज़मीं

जो बड़े हैं उनका आदर सीखिये
अपने लब ना खोलना है लाज़मी

जो उड़ा आकाश में इक दिन गिरा
अंत सबका है यही दो ग़ज़ ज़मीं


सुनील_तैलंग/23/10/2012

Tuesday, October 23, 2012

BISAAT


बिसात 

देश का भविष्य आज , बिछ गया बिसात पर
अब चरित्रशील लोग ढूँढने की बात कर

हो गया है खोखला ये देश लूट तंत्र से 
जो गुनाहगार हैं , वो घूमते स्वतंत्र से
पंगु हो गया है संविधान इनकी जात  पर

राजनीति की विधा का इस कदर हुआ पतन 
सिर्फ चाटुकारों से , घिर गया है ये वतन
देख रहे हम फकत, हाथ धरे हाथ पर

कोई रोक टोक नहीं , चार दिन का शोर है
सबको अपनी फिक्र है ,सबका अपना जोर है
रो रहा आम आदमी अपने ही हालात पर

उठ के आओ सामने ,छीन लो तुम अपना हक़ 
मिल के एक बार फिर, इनको सिखा दो सबक
देश फिर चमन बने, हों फूल पात पात पर 

Sunil_Telang/23/10/2012

Sunday, October 21, 2012

WO BEWAFA


वो बेवफा 

मुझको मालूम है खफ़ा है वो
पर मेरी राह देखता है वो

देखकर उसकी भोली सूरत को
मेरे दिल से हुई खता है वो

चौंक  जाता हूँ रोज़ रातों  में 
कोई अनजान सी सदा है वो

उसकी सूरत है ज़िन्दगी मेरी
मुझसे बिछड़े तो फिर क़ज़ा है वो

देखकर आईने में अक्स मेरा
अपने साये से लिपटता है वो 

वो भी तन्हाइयों में जीता है
कैसे कह् दूं कि बेवफा है  वो 

Wo Bewafa

Mujhko maaloom hai khafa hai wo
Par meri raah dekhta hai wo

Dekh kar uski bholi soorat ko
Mere dil se hui khata hai wo

Chonk jaata hoon roz raaton ko
Ek anjaan si sada hai wo

Uski soorat hai zindagi meri
Mujhse bichhade to fir kaza hai wo

Dekh kar aaine me aks mera
Apne saaye se lipatta hai wo 

Wo bhi tanhaaiyon me jeeta hai
Kaise kah doon ki bewafa hai wo

Sunil_Telang/21/10/2012


YE DESH


ये देश 

हम तमाशा तो नहीं हैं, हम भी इक इंसान हैं
ज़िन्दगी ऐसी हमारी , क्या तुम्हारी शान है

रोज़ चर्चा का विषय बनते हैं हम अखबार में
बन के बैठे हैं नुमाइश हम सरे बाज़ार में
बस फकत तस्वीर अपनी  मीडिया की जान है

देश है संपन्न अपना , अन्न का भण्डार है
फिर भी क्यों दो रोटियां दो वक्त की दरकार हैं
क्या ये भूखा नंगा तन ही देश की पहचान है 

कितनी सरकारें यहाँ आईं ,बहुत कुछ कह गईं
हम गरीबों की प्रगति बस आंकड़ों में रह गई
गर्व  से  कैसे  कहें  ये  देश  हिन्दोस्तान   है 

Sunil_Telang/21/10/2012

Saturday, October 20, 2012

KISKE LIYE KAANOON




KISKE LIYE KAANOON

Itne ghotalon me fanskar bhi nahi koi asar
Muskuraate hain ye apne desh ke kaanoon par

Jo hain rakshak Wo bane bhakshak to koi kya kare
Fir kahan se koi inke Dil me dar paida kare 
Loot kar is desh ko Ye roz bharte apna ghar

Jaante hain desh ka Kaanoon hai saksham nahi
Chhote mote chor pakde Jaayenge par hum nahi
Itne barson me kisi ka Jail ban paaya na ghar 

Jhoothi moothi muskuraahat Roz dete pyaar se
Yun to ladte hain ladaai Roz bhrashtachar se 
Par nahi Inko koi Beimaan aata hai nazar

Muskurate hain ye Apne desh ke kaanoon par 

Sunil_Telang

किसके  लिये क़ानून

इतने घोटालों में फंस कर भी  नहीं कोई असर
मुस्कुराते हैं ये अपने  देश  के क़ानून पर

जो हैं रक्षक, वो बने भक्षक तो कोई क्या करे
फिर कहाँ से कोई इनके दिल में डर पैदा करे
लूट कर इस  देश को  ये रोज़ भरते अपना घर

जानते हैं देश का क़ानून है सक्षम  नहीं
छोटे मोटे चोर पकडे जायेंगे पर हम नहीं
इतने बरसों में किसी का जेल बन पाया न घर

झूठी मूठी मुस्कराहट रोज़ देते प्यार से
यूँ तो लड़ते हैं लड़ाई रोज़ भ्रष्टाचार से
पर नहीं इनको कोई बेईमान आता है नज़र

मुस्कुराते हैं ये अपने देश के क़ानून पर 

Sunil_Telang/ 20/10/2012

Wednesday, October 17, 2012

BHAAICHAARA


भाईचारा 

राजनीति में न कोई दुश्मनी अब रह गई
दास्तां ये भाईचारे की बहुत कुछ कह गई

एक दूजे की मदद में हर कोई बस व्यस्त है
देश है सबका, इसे सब लूटने में मस्त हैं
देश की जनता तमाशा बीन बनकर रह गई

हर किसी नेता पे बस आरोप दर आरोप है
बात  करते  हैं  मगर उत्तर सभी में लोप है
हर सफाई बस बहस का मूल बन कर रह गई 

क्या इन्ही लोगों के पीछे देश चलता जायेगा 
क्या किसानों और गरीबों को कोई अपनायेगा 
देश को उत्तर की आशा  फिर  अधूरी  रह  गई

Sunil_Telang/17/10/2012

Tuesday, October 16, 2012

GHAM NA KAR






Hai abhi ummeed baki Gham na kar
Is kadar ghabra ke Aankhen nam na kar

See more-  ग़म  न कर

है अभी उम्मीद बाकी , ग़म  न कर
इस कदर घबरा के आँखें नम न कर

लीक से हट कर चला , वो टिक न पाया
फिर भी अपने  हौसले को कम न कर

आँधियों में भी जले हैं कुछ दिये
तू निराशा का सिला कायम न कर

टूट ना  जाये सबर का बाँध इक दिन
ज़ब्त कर, ये ज़िक्र तू हरदम न कर

हमको है मालूम, ये मुश्किल सफ़र है
आयेगी मंजिल, कदम मध्यम न कर   

Sunil_Telang/16/10/2012

Monday, October 15, 2012

KAUN HAI TU


कौन है तू

कौन है तू, क्या है तू
अब तक नहीं तू जान पाया
देश का आम आदमी 
खुद को नहीं पहचान पाया

अपने ही घर में रहो बैठे दुबक के
कुछ न कहना आदमी हो तुम सड़क के 
तुमने तो बस वोट का अधिकार पाया

कुछ शिकायत है अगर तो कोर्ट जाओ
मत हमारा नाम मिटटी में मिलाओ
पद ये हमने आपकी सहमति से पाया

चंद  लोगों की गलत बातों में आके 
रोज़ कुछ आरोप टीवी पर दिखा के
बेवजह का शोर सड़कों पर मचाया

टेंशन मत लो ज़रा आराम रक्खो 
तुम तो अपने काम से बस काम रक्खो
तुम हो इक आम आदमी , कुछ याद आया 

Sunil_Telang/15/10/2012


KAUN HAI TU

Kaun hai tu , kya hai tu
Khud ko nahin tu jaan paaya 
Desh ka Aam Aadmi 
Khud ko nahin pahchaan paaya

Apne hi ghar me raho baithe dubak ke
Kuchh na kahne aadmi ho tum Sadak ke 
Tumne to bus vote ka adhikaar paaya

Kuchh shikayat hai agar to Court jaao
Mat humara naam mitti me milaao
Pad ye humne aapki sahmati se paaya

Chand logon ki galat baaton me aake 
Roz kuchh aarop TV par dikha ke
bewajah ka shor sadkon par machaaya

Tension mat lo zara aaram rakkho
Tum to apne kaam se bus kaam rakkho
Tum ho ik Aam Aadmi ,kuchh yaad aaya

Sunil_Telang/15/10/2012


Sunday, October 14, 2012

WO KHAT





वो ख़त 


हिचकियाँ  जब  भी  मुझको  आती  हैं 
एक  अहसास   मुझको  होता   है  
मेरी  यादों  को  भूलने  के  लिये
कोई   इक  शख्स  बहुत  रोता  है 

दिल  तो  है  चीज़  बड़ी  नाज़ुक  सी 
एक  ठोकर  में  टूट  जाती  है 
मोल  अश्कों  का  वही  समझेगा 
रोज   तकिये  को  जो  भिगोता  है 

कभी  तनहाइयों  में  जो  अक्सर 
मेरे  दिन  रात   के  सहारे   थे 
चैन  मिलता  नहीं  वो  ख़त  पढ़  के 
और  दिल  बेकरार   होता  है  

प्यार  हद  से  कभी  करो  ज्यादा 
बेरुखी  में  वो  बदल  जाता  है 
जो  लुटाता  है  ज़िन्दगी  अपनी 
नींद  और   चैन  वोही  खोता  है 

मिल  गया  हो   जो  खुशनसीबी  से 
उसके  जाने  का  कोई  ग़म    न  करो 
प्यार  का  बदला  वफ़ा  से  मिलना 
एक  खुशफ़हम  ख्वाब  होता  है 

सुनील  _तैलंग /14/10/2012

Saturday, October 13, 2012

FAASLE



फासले 

जब  भी  मेरे  दिल  ने  तुमको 
भूलना  चाहा  सनम 
तुमने  आकर  रोज़  ख्वाबों  में  
किया  आँखों  को  नम  .

मुझसे  मिलते  भी  नहीं 
करते  हो  वादा  रोज़  तुम 
प्यार  का  इकरार  अक्सर 
मुझको  लगता  है  भरम . 

फासले  अक्सर  बढ़ाते 
हैं  ज़माने  के  सितम 
तुम  उधर  मजबूर  हो , तो 
इस  तरफ  लाचार  हम 

Sunil_Telang/13/10/2012


FAASLE

Jab bhi mere dil ne tumko
Bhoolna chaaha sanam
Tumne aakar roz khwabon me 
Kiya aankhon ko nam .

Mujhse milte bhi nahin
Karte ho vaada roz tum
Pyar ka ikraar aksar
Mujhko lagta hai bharam.

Faasle aksar badhate
Hain zamane ke sitam
Tum udhar majboor ho, to
Is taraf laachar hum

Sunil_Telang

HAUSALA


हौसला

जो कमर कस के उतरे हैं मैदान में
वो सफल हों दुआ कीजिये
साथ चलने की तो सबको फुर्सत नहीं
हौसला ही  बढ़ा  दीजिये

ये खिलाफत नहीं न्याय का युद्ध है
आज निकले हैं वो हम सभी के लिये
इसको स्वार्थ का मत नाम देना कोई
ये लड़ाई है  आम आदमी के लिये

हो रहा है पतन, लुट रहा है वतन 
खैर अपनी मना लीजिये

आज बाजू में जलता है गर कोई घर
कल समझ लेना तुझ पर भी होगा असर 
मूक बन कर तमाशा न तुम देखना 
बोझ बन जाओगे अपनी औलाद पर 

आज मौका मिला है तो हो के निडर
 तल्ख़ अपनी ज़ुबां कीजिये 

हौसला ही बढ़ा दीजिये 

Sunil_Telang/13/10/2012

CHUP RAHO


चुप रहो

चुप रहो, देखते बस रहो
अब जुबां से न तुम कुछ कहो

बोलने से जुबां मैली हो जायेगी
तेरे  विश्वास को  ठेस लग जायेगी 
दर्द  ऐसे  ही सहते रहो

ज़िन्दगी में तू थोडा सा आराम रख
तू तो बस अपने ही काम से काम रख
तू परेशान जब तक न हो

ये तो हैं सिरफिरे जो उठाते है सर 
जाने क्यों कर रहे देश की ये फिकर
आप लगते समझदार हो

कितने आये गये वो न कुछ कर सके
अब नहीं  कोई जो देश पर मर सके
अपनी औकात में तुम रहो  

Sunil_Telang/13/10/2012

Friday, October 12, 2012

VAISHAAKHIYAN




वैशाखियां

इस कदर उन की  यहाँ तक  बढ़ गईं गुस्ताखियाँ
छीन लीं विकलांगों की ज़िन्दगी वैशाखियां

उम्र भर मजबूरियों में रेंग कर चलते रहे
थीं अँधेरे रास्तों की रौशनी वैशाखियां 

खो गई इंसानियत अब लाज है ना शर्म है 
अब कमाई का बड़ा जरिया बनी वैशाखियां

वो सहारे छीन कर खुद बेसहारा हो रहे
देख लो सरकार की  ज़रूअत बनी वैशाखियां 

Sunil_Telang/12/10/2012

Thursday, October 11, 2012

BADLAAV


क्या आप SYSTEM  बदलना चाहते हैं ???      

           आज हर व्यक्ति चाहता है कि SYSTEM में बदलाव हो | चाहे वो  व्यक्ति गरीब हो या अमीर, परेशानी सभी को है | फिर भी जब भी कोई शख्स बदलाव का प्रयास करता है ,तो कुछ लोग उसमे कमियां निकालना शुरू कर देते हैं और बताते हैं कि ये प्रयास सफल नहीं हो पायेगा |

          चाहे अन्ना हजारे हों, बाबा रामदेव हों या अरविन्द केजरीवाल, हम लोगों की जुबान इनके आन्दोलन को सहयोग देने की वजाय इनकी कमियों को दिखाने और आलोचना करने में ही चलती है  इस  दुनिया  में 2 तरह के लोग हैं, एक वो जो वर्तमान SYSTEM  व्यवस्था से खुश हैं और येन केन प्रकारेण भ्रष्टाचारी सिस्टम में लिप्त होकर धन कमाने में जुटे हैं, चाहे वो कुछ समय के लिए ही हो,लेकिन उन्हें जब भी मौका मिलता है, वो अवसर को भुनाते हैं और  धन कमाकर अपना और अपनी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित  करना चाहते हैं | ऐसे व्यक्ति केवल भारी मन से भ्रष्टाचार का विरोध करते हैं लेकिन असल में वे इस SYSTEM  से खुश हैं । लेकिन ऐसे व्यक्तियों का भविष्य TENSION , DEPRESSION , पारिवारिक क्लेश और असामयिक मृत्यु  में गुज़र जाता है। केवल धन कमाने से ही सुख और शान्ति की प्राप्ति नहीं होती है ।
          दूसरे प्रकार के वे लोग हैं जो दिन रात मेहनत और काम कर के भी अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते हैं और उन्हें बार बार इस भ्रष्ट व्यवस्था में पैसे खिलाकर काम करवाना पड़ता है जो कि  इनका  बजट बिगड़ता है और ये अपने भविष्य के लिए कोई भी बचत नहीं कर पाते हैं बल्कि इनको बार बार अपने बच्चों का या अपना FUTURE  प्लान बदलना पड़ता है । साथ ही इनको मालूम है कि आगे भी बरसों तक इनके पास कोई अतिरिक्त आय के SOURCES  नहीं मिलने वाले हैं ऐसे लोग वर्तमान व्यवस्था के पूर्ण बदलाव के पक्षधर हैं ।
          आज जो भी लोग इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं हम लोग उनका साथ देने की जगह उनके तर तरीकों और उनकी हैसियत पर बहस ज्यादा कर रहे हैं। आज़ादी के 65 सालों बाद पहली बार ऐसा मौका मिला है  कि आज मैदान में 2-4 लोग दिखाई दे रहे हैं । ये काम मुश्किल ज़रूर है लेकिन असंभव नहीं ।आज सबके सामने ये प्रश्न है कि वो इसके साथ हों या विरोध में।क्या ये मेहनत  सफल हो सकेगी या फिर वही ढाक के तीन पात ।
         आपको क्या लगता है, कृपया अपने विचार यहाँ रखने का कष्ट करें।

Sunil_Telang /11/10/2012

HAPPY BIRTHDAY AMITAABH


जन्मदिन मुबारक 

युग पुरुष "अमिताभ" को शुभकामनायें
हम न समझे जन्मदिन कैसे मनायें
बस यही दिल से सभी देते दुआयें
स्वस्थ रहकर आप हरदम मुस्कुरायें

Sunil _Telang/11/10/2012

Wednesday, October 10, 2012

AAM AADMI


आम आदमी 

आदमी तो हूँ ,मगर मैं आम हूँ
हुक्मरानों के लिए, बेदाम हूँ

जब से मैं पैदा हुआ चुपचाप हूँ
अपने दर्दों की दवा मैं आप हूँ
मैं अभी तक गुमशुदा, बेनाम हूँ

मेरा दोहन वोट की खातिर हुआ
मेरा हक़ ना फिर कभी ज़ाहिर हुआ
मैं तो धुंधलाती हुई इक शाम हूँ

किसने शीशे में उतारा फिर मुझे
नाम से किसने पुकारा फिर मुझे
किसने बोला, मैं नहीं नाकाम हूँ

देश की पहचान है आम आदमी
भूल मत इंसान है ,आम आदमी
अब किसी का मैं नहीं गुलाम हूँ

फिर ना कहना आदमी मैं आम हूँ

Sunil_Telang/10/10/2012

TERI YAAD




तेरी याद

तूने हर छोटे बड़े का प्यार पाया
ये ग़ज़ल क्या है हमें तूने सिखाया
हर किसी को ये तेरा अंदाज़ भाया
आज तेरी याद ने सबको रुलाया

दर्द में डूबी तेरी आवाज़ सुनकर
हर किसी का तू रहा आदर्श बनकर 
तेरी ग़ज़लों में नया अहसास पाया 
आज तेरी याद ने सबको रुलाया

Sunil_Telang/08/02/2013

Tuesday, October 9, 2012

TABASSUM

तबस्सुम


वो तबस्सुम तेरा , हुस्न वो लाजवाब
दिल तो लुटना ही था चांदनी रात में
बात दिल की न होठों पे हम ला सके
वो चले भी गये बात ही बात में

उनकी सूरत निगाहों में ऐसे बसी
लोग मिलते हैं पर दिल बहलता नहीं
सारे जलवे भी हमसे पराये हुये
कोई अपना नहीं ऐसे हालात  में

क्या यही था तुम्हें चाहने का सिला
कुछ भी पाया नहीं दर्द-ए-दिल के सिवा
दो ख़ुशी के भी पल न मयस्सर हुये
उम्र गुजरी ग़मों से मुलाक़ात में 

Sunil_Telang/09/10/2012