देखे थे ख्वाब
देखे थे ख्वाब हमने, छू लेंगे आसमां को
लेकिन बचा न पाये , अपने ही आशियां को
करते गिला, अगर ये दुश्मन का काम होता
बर्बाद कर दिया है अपनों ने इस जहां को
मंजिल है सामने , पर बढ़ते नहीं कदम हैं
डर रहनुमाओं से है अपने ही कारवां को
होने लगे पशेमां " नादिर" भी "गजनबी" भी
लूटा है आज ऐसे अपने हिन्दोस्तां को (पशेमां-Ashamed,शर्मिन्दा )
चुप बैठ कर न ऐसे दुनिया बदल सकोगे
आना पड़ेगा आगे हर एक नौजवां को
Sunil_Telang