ज़िन्दगी
जैसी भी हो, है आखिर तेरी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी देके अहसान रब ने किया
तुझको खुशियाँ मनाने का मौका दिया
तूने अपनाये ग़म , भूलकर हर ख़ुशी
ख्वाहिशों ने किया तुझपे कैसा असर
जो मिला तुझको पूरा न आया नज़र
तेरे रुख पे कभी आ ना पाई हँसी
किसकी खातिर परेशान है ज़िन्दगी
सिर्फ दौलत से मिलती नहीं है ख़ुशी
पास है जो तेरे, ये भी कम तो नहीं
ज़िन्दगी में निराशा न लाना कभी
ये है अनमोल, मत भूल जाना कभी
कितने लोगों का सपना तेरी ज़िन्दगी
Sunil_Telang/12/09/2012
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