लक्ष्य
लक्ष्य आँखों में रखोगे चाँद का
तुम सितारों की तरह चमकोगे इक दिन
मुश्किलों में हौसला मत हारना
देखना ये आसमां छू लोगे इक दिन
आये हो धरती पे तुम इंसान बन के
भूल बैठे क्यों मगर इंसानियत
जाति मज़हब के लिए लड़ते रहे तो
अपनी हस्ती खुद मिटा डालोगे इक दिन
अपनी मेहनत से, लगन से, योग्यता से
भीड़ में अपनी अलग पहचान कर
ले के आरक्षण की ये बैशाखियाँ
आपसी रंजिश में फंस जाओगे इक दिन
Sunil_Telang/10/09/2012
No comments:
Post a Comment