Monday, September 10, 2012

LAKSHYA



लक्ष्य 

लक्ष्य आँखों में रखोगे  चाँद का 
तुम सितारों की तरह चमकोगे इक दिन
मुश्किलों में हौसला मत हारना 
देखना ये आसमां छू लोगे इक दिन

आये हो धरती पे तुम इंसान बन के
भूल बैठे क्यों मगर इंसानियत
जाति मज़हब के लिए लड़ते रहे तो
अपनी हस्ती खुद मिटा डालोगे इक दिन

अपनी मेहनत  से, लगन से, योग्यता से
भीड़ में अपनी अलग पहचान कर
ले के आरक्षण की ये बैशाखियाँ 
आपसी रंजिश में फंस जाओगे इक दिन 

Sunil_Telang/10/09/2012

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