कभी ना कभी
मुझे तुम मिलोगे कभी न कभी
नहीं कोई रस्ता, मगर है यकीं
तुम्हें देखे यूँ एक अरसा हुआ
ये चाहत मगर फिर भी कम ना हुई
किया तुमने दिल पे कुछ ऐसा असर
नज़र आते हो बस तुम्ही हर कहीं
ये सावन की रुत, ये बहार, ये समां
बुलाते हैं तुमको मेरे हमनशीं
खयालों में, ख़्वाबों में आते हो क्यों
अगर तुमको मुझसे मोहब्बत नहीं
कभी तो सुनोगे मेरा हाल-ए- दिल
तेरी आस में है मेरी ज़िन्दगी
Sunil_Telang/14/09/2012
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