जीना यहाँ मरना यहाँ
आज आरक्षण ,करप्शन की है बस चर्चा यहाँ
भूख , लाचारी , गरीबी खो गये जाने कहाँ
एक दिन कुछ वक़्त उन किस्मत के मारों को भी दो
जिनका बिस्तर है ज़मीं और छत बनी है आसमां
इन गरीबों की न कोई जात है ना चाह है
इनको बस उम्मीद खाने को मिलें दो रोटियां
जान से बढ़कर बड़े मुद्दे हैं चर्चा के लिये
इतनी छोटी बात पर क्यों खोलते हो तुम जुबां
कम से कम दो गज ज़मीं का हक़ ही बस दे दो इन्हें
इन गरीबों के लिये जीना यहाँ मरना यहाँ
Sunil_Telang/07/09/2012
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