Tuesday, September 11, 2012

DARD DIL




दर्द दिल

जीते हैं दर्द दिल में,  छुपाये हुये
बरसों हुये हैं हमको, मुस्कुराये हुये

तुम क्या गये कि खुशियाँ, भी साथ ले गये
कोई नहीं है अपना, सब पराये हुये

मिलना जवां दिलों का, मंज़ूर नहीं सबको
रस्म-ओ-रिवाज़ किसके, हैं बनाये हुये

ये हाल-ए-दिल हमारा, सुनता नहीं है कोई
मिलते हैं लोग दुनिया के, सताये हुये

गुजरेंगे वो भी शायद, इक दिन मेरी गली से
बैठे हैं हम चिरागों को, जलाये हुये

Sunil_Telang/11/09/2012

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