Monday, September 17, 2012

AAWARGI




आवारगी 

बोझ से है भरी ज़िन्दगी
है किसी से डरी  ज़िन्दगी

फिरते हैं लोग चारों तरफ
फिर भी है अजनबी ज़िन्दगी

खुद से भी कुछ पशेमां हैं हम 
बन गयी बेबसी ज़िन्दगी

ढूंढती है ना जाने किसे
मेरी आवारगी ज़िन्दगी

उम्र गुजरी तड़पते हुए
आंसुओं की नदी ज़िन्दगी

जिसने जीता हो खुद को कभी
बस उसी को मिली ज़िन्दगी 
                                              (पशेमां -शर्मिंदा  )
Sunil_Telang /17/09/2012

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