Friday, September 21, 2012

JANTA KA KYA

जनता का क्या

फिर वही मौका परस्ती , फिर कोई सौदा नया
राजनीतिक तिकड़मों का दौर लो फिर आ गया

हमको ये हक़ लूटने का आप ने ही तो दिया
आपकी है मेहरबानी आपका है शुक्रिया
बेवजह फिर से चुनावों का बचा खर्चा नया

FDI  का मुद्दा हो या घोटालों की बात
लो  विपक्षी पार्टियों की जुडी फिर से ज़मात
चार दिन का शोर है, फिर ना  सुनोगे वाकया 

पांच बरसों तक हमें डिस्टर्ब मत करना अभी
हैं बहुत से मद  कि जिनमें पग हमें धरना अभी
देश है समृद्ध अपना, देश की जनता का क्या

Sunil_Telang/21/09/2012

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