Sunday, September 30, 2012

AAKHIR KYON



  Gunahon Ki Duniya
        Aaj ke waqt me, manhgaai ke daur me ,agar koi cheej sabse sasti hai, to wo hai Insaan ki Zindagi . Insaan apni zid me ,pyar me asafal hone par, apni gairzaroori 200-400 Rs. ki poorti ke liye, ya aur kisi chhote mote kaaran se , anzaam ki parwaah kiye bina jo kadam uthata hai, wo hai HATYA, MURDER, KHOON ,ya aap jo bhi naam lena chaahaen.       
        Vigat varshon me desh ke har kone se is tarah ki hriday-vidaarak ghatnaayen saamne nazar aai hain, Jahan apni sanak me, apni zid me, ya kshanik aavesh me aakar badle ki khaatir Javaan yuvtiyon ya mahilaaon ke saath balatkar, tezaab fenkne ,ya hatya ki koshish ki gayee hai. Aisi shikaar mahilaayen zindagi bhar ke liye apna sab kuchh kho kar gumnaamee ke andhere me ji rahin hain. Inko is haalat me pahunchaane wale kuchh kog abhi tak khule aam ghoom rahe hain, lekin kuchh log khud bhi salaakhon ke peechhe apni karni ka fal bhugat rahe hain.Aakhir aisa kab tak aur kyon????

अंज़ाम 

ऐ गुनाहगारो , गुनाहों को ना यूँ अंज़ाम दो
अपनी वहशत और ज़िद को ना मोहब्बत नाम दो

जितना हक तुमको किसी को चाहने का है मिला
हक  है उसको भी तुझे चाहे या तोड़े सिलसिला 
उसकी नामर्ज़ी को मत तौहीन का इल्ज़ाम दो

ज़िन्दगी  तो है खुदा की देन, तेरा हक है क्या
दिल पे खाकर चोट, क्यों हस्ती मिटाने पर तुला
अपने सीने में भड़कती आग को आराम दो

ये ख़ता तेरी, तुझे ही उम्र भर तड़पायेगी
साथ तेरे और कितनी   जिन्दगीं मिट जायेंगीं
प्यार तो है त्याग और पूजा, यही पैग़ाम दो

Sunil _Telang





ANZAAM




अंज़ाम 

ऐ गुनाहगारो , गुनाहों को ना यूँ अंज़ाम दो
अपनी वहशत और ज़िद को ना मोहब्बत नाम दो

जितना हक तुमको किसी को चाहने का है मिला
हक  है उसको भी तुझे चाहे या तोड़े सिलसिला 
उसकी नामर्ज़ी को मत तौहीन का इल्ज़ाम दो

ज़िन्दगी  तो है खुदा की देन, तेरा हक है क्या
दिल पे खाकर चोट, क्यों हस्ती मिटाने पर तुला
अपने सीने में भड़कती आग को आराम दो

ये ख़ता तेरी, तुझे ही उम्र भर तड़पायेगी
साथ तेरे और कितनी   जिन्दगीं मिट जायेंगीं
प्यार तो है त्याग और पूजा, यही पैग़ाम दो

Sunil _Telang/30/09/2012


Saturday, September 29, 2012

GANPATI BAPPA MORIYA


गणपति बप्पा मोरिया

चलो हुई गणपति विदाई, धीरे धीरे शोर थमा
गणपति बप्पा मोरिया ,अगले बरस तू जल्दी आ 

रोज़ सुबह दस दिन तक सबने  नाम लिया तेरा श्रद्धा से
रोज़ शाम को मन्नत मांगी  मुक्त रखें हर बाधा से   
रोज़ रात को सैर सपाटा , झांकियों का आनंद लिया 
गणपति बप्पा मोरिया 

शुभ शुरुआत तुम्हारे कारण श्री गणेश होता तुमसे 
बच्चे, बूढ़े, नर और नारी है सबका नाता तुमसे 
कभी गजानन कहा , कभी लम्बोदर तेरा नाम लिया 
गणपति बप्पा मोरिया 

हुआ विसर्जन, कहीं है थोडा दुःख तो कहीं ख़ुशी भी है 
जीवन की आपा -धापी में दो दिन की भक्ति भी है 
बना  रहे आशीर्वाद,  सर पे हो तेरा हाथ सदा 
गणपति बप्पा मोरिया 
अगले बरस तू जल्दी आ 

Sunil_Telang/29/09/2012

Friday, September 28, 2012

HO JANMDIN MUBARAK




हो जन्मदिन मुबारक

जिनके गले से हरदम 
कोयल की कूक जैसा 
एहसास बो लता  है

हर दिल पे आज तक भी
छाया है जिसका जादू 
हम सब की वो लता है.

वो गीत  ,वो तरन्नुम
कोई भुलाये कैसे
वो ज़िन्दगी के हिस्से 
हमने बनाये ऐसे

गीतों की रागिनी से 
जिनकी  सुगंध पाकर
गुलशन ये महकता है 

हो जन्मदिन मुबारक
क्या दें हसीन तोहफा
गदगद है  दिल हमारा
करते हैं  बस तमन्ना 

हरदम   रहो सलामत 
दिल से यही दुआएं 
हर शख्स भेजता है  

Sunil_Telang/28/09/2012


KAABILIYAT



काबिलियत

इतनी काबिलियत लाइये
चाहे दिल में छुपा रक्खे हों लाख ग़म
सामने फिर भी मुस्काइये

ख्वाहिशें रखना होंगी अधूरी यहाँ 
रोज़ सुनने की आदत ज़रूरी यहाँ 
इन समस्याओं का अंत कोई नहीं 
आप मत गौर फरमाइये

छुपते रहिये नज़र से अगर हो सके 
देश के दर्द का ना असर हो सके 
कोई दौरा बताकर विदेशों की कुछ 
आप भी सैर कर आइये

देश के सामने कोई रस्ता नहीं
हम ज़रुरत हैं कोई विवशता नहीं
ये विरोधी दलों की लड़ाई का कुछ 
फायदा आप भी पाइये 

Sunil_Telang/27/09/2012


Thursday, September 27, 2012

JO BEET GAYA SO BEET GAYA


जो बीत गया सो बीत गया 

जो बीत गया सो बीत गया 
किसकी खातिर आँखें नम  हैं 
जो गुज़र गया सो गुज़र गया 
अब किसके जाने   का ग़म है 

मंजिल की तुझको चाह अगर 
तो आगे कदम  बढ़ाता चल 
जो छोड़ गये  हैं साथ तेरा 
उनकी किस्मत, उनका ग़म है 

जीवन पथ पर हर राही को 
है सफ़र अकेले तय करना 
हर ग़म के बाद ख़ुशी भी है 
जीवन  सुख दुःख का संगम है 

नेकी करने का फल शायद 
इस जनम में ना मिल पायेगा 
पर जीवन तेरा सफल होगा 
उम्मीद पे दुनिया कायम है 

Jo beet gaya so beet gaya
Kiski khaatir aankhen nam hain
Jo guzar gaya so guzar gaya
Ab kiske jaane ka Gham hai

Manzil ki tujhko chaah agar
To aage kadam badhata chal
Jo chhod gaye hain saath tera
Unki kismat unka gham hai

Jeewan path par har raahi ko
Hai safar akele tay karna
Har gham ke baad khushi bhi hai
Jeewan sukh dukh  ka sangam hai

Neki karne ka fal shaayad
Is janam me na mil paayega 
Par jeewan tera safal hoga
Ummeed pe duniya kaayam hai

Sunil_Telang

KAB KHULEGI ZUBAAN




कब खुलेगी जुबां 

जायें तो जायें इन्सां कहाँ
होगी सरकार कब मेहरबां

रोज़ी रोटी की हमको फिकर
जिसका कोई करे न ज़िकर
पार्टियों में बर्चस्व की 
होड़ है बस यहाँ से वहाँ

रोज़ आपस में छींटाकशी
नेता करते हैं बस दिल्लगी
इनमे त्याग और ईमान का
रह गया अब न नाम ओ निशाँ 

देश के ये प्रधानमंत्री
अपने ही देश में अजनबी
हो न पाये कभी रूबरू
कब खुलेगी ये उनकी जुबां

Sunil_Telang

Tuesday, September 25, 2012

KUCHH LOG



कुछ लोग

कुछ लोग  ज़िन्दगी में आते हैं बन के तूफां
कर देते हैं इक हलचल सैलाब की तरह
बन जाते हैं ज़रुरत जब अपनी ज़िन्दगी की
तब दूर चले जाते हैं ख्वाब की तरह

Kuchh log zindagi me Aate hain ban ke toofaan
Kar dete hain ik hulchul Sailaab ki tarah
Ban jaate hain zaroorat Jab apni zindagi ki 
Tab door chale jaate Hain khwaab ki tarah

Sunil_Telang

Monday, September 24, 2012

ULFAT



ULFAT

Ulfat nahin hai mujhse wo kabhi  kah nahin  sakte

Unko ye pata hai ki main fir jee na sakoonga

Mujhko wo nahin chaahen magar gair ke ho jaayen

Jeete ji zahar main ye kabhi pee na sakoonga


Kya din wo suhaane the baagon me bahaaren thin

Wo chaandni raaten kabhi saawan ki fuhaaren thin

Shaanon pe wo sar rakh ke madhosh wo ho jaana

Wo pyar bhare  lamhe bhula bhi na sakoonga  



उल्फत 

उल्फत  नहीं  है  मुझसे  वो  कभी  कह  नहीं   सकते 
उनको  ये  पता  है  कि  मैं  फिर  जी  ना  सकूंगा 
मुझको  वो  नहीं  चाहें  मगर  गैर  के  हो  जायें
जीते  जी  ज़हर  मैं  ये  कभी  पी  ना  सकूंगा 

क्या  दिन  वो  सुहाने  थे  बागों  में  बहारें  थीं 
वो  चांदनी  रातें  कभी  सावन  की  फुहारें  थीं 
शानों  पे  वो  सर  रख  के  मदहोश  वो  हो  जाना 
वो  प्यार  भरे   लम्हे  भुला  भी  ना  सकूंगा   

Sunil_Telang/24/09/2012

Sunday, September 23, 2012

PAISE KA PED


PAISE KA PED

पैसे  पेड़ों पे नहीं उगते  हैं  भाई 
इतनी सी ये बात तुम्हें क्यों समझ न आई

करने पड़ते हैं  इसकी खातिर घोटाले
तू भी पीछे का कोई रास्ता अपना ले
भ्रष्टाचार मुक्त ये देश बनेगा भाई 

लोगों को बकने दो तुम चुप्पी अपना लो 
अपनी करनी पर तुम भी इक पर्दा डालो
याददाश्त जनता  की कम होती है भाई 

हम तो हैं  आज़ाद न कोई अब रोकेगा
हम चाहेंगे तो  इक दिन ये देश बिकेगा
एक बार लाने तो दो  ये एफ डी आई 

पैसे  पेड़ों पे नहीं उगते  हैं  भाई 
इतनी सी ये बात तुम्हें क्यों समझ न आई

Sunil_Telang/23/09/2012


Saturday, September 22, 2012

BAAD-E-SABA





BAAD-E-SABA

Kya kisi se Karen gila shikwa

Marz aisa hai nahin jiski dawa

Raat khushboo hai tere gesu ki

Aur mehkaati hai ye baad-e-saba


Pahle bhi gham koi ye kam to na the

Kyon mohabbat ka tumne naam liya

Chain din raat ka bhula baithe

Dil ne ik pal ka na aaram liya


Sunil_Telang/22/09/2012

Friday, September 21, 2012

JANTA KA KYA

जनता का क्या

फिर वही मौका परस्ती , फिर कोई सौदा नया
राजनीतिक तिकड़मों का दौर लो फिर आ गया

हमको ये हक़ लूटने का आप ने ही तो दिया
आपकी है मेहरबानी आपका है शुक्रिया
बेवजह फिर से चुनावों का बचा खर्चा नया

FDI  का मुद्दा हो या घोटालों की बात
लो  विपक्षी पार्टियों की जुडी फिर से ज़मात
चार दिन का शोर है, फिर ना  सुनोगे वाकया 

पांच बरसों तक हमें डिस्टर्ब मत करना अभी
हैं बहुत से मद  कि जिनमें पग हमें धरना अभी
देश है समृद्ध अपना, देश की जनता का क्या

Sunil_Telang/21/09/2012

Thursday, September 20, 2012

EHSAAS





एहसास

तुम भी औरों की तरह लगते हो मुझको
क्यों कोई फिर दिल ना ये बहला सका 
जो निगाहों से तेरी घायल हुआ है
ज़ख्म- ए- दिल फिर ना कोई  सहला सका 

क्या अदा है  ख़ास तुझमें मैं ना समझा 
दिल हुआ बेचैन हर शाम-ओ-सहर 
पास बैठो या रहो तुम दूर मुझसे
पुर-कशिश एहसास फिर ना पा सका

मुझसे कहते हो मुझे तुम भूल जाओ  
क्या तुम्हारे दिल की भी है ये सदा
जिसने ठुकराया मोहब्बत से भरा दिल 
चैन वो खुद भी कभी ना पा सका 

Tum bhi auron ki tarah lagte ho mujhko
Kyon koi fir dil na ye bahla saka 
Jo nigaahon se teri ghayal hua hai
Jakhm-e-dil fir na koi sahla saka

Kya ada hai khaas tujhme main na samjha
Dil hua bechain har shaam-o-sahar
Paas baitho ya raho tum door mujhse
Pur- kashish ehsaas fir na pa saka 

Mujhse kahte ho mujhe tum bhool jaao 
Kya tumhare dil ki bhi hai ye sada
Jisne thukraya mohabbat se bhara dil
Chain wo khud bhi kabhi na pa saka 

Sunil_Telang/20/09/2012

BHARAT BANDH


भारत  बन्द   

क्या   मिलेगा  आज  भारत  बंद  से 
लोग  बैठे  हैं   बड़े  आनंद  से 
आपने  हलचल  मचा  दी  देश  में 
घूमते हैं लोग कुछ स्वच्छंद  से 

क्या यही अब रास्ता बस रह गया
पानी अब सर से भी ऊपर बह गया 
फिर  भी  उन पर शोर का ना है असर 
जो रखे हैं कान अपने बंद से

शस्त्र ये अब राजनीति का बना
लोग लाचारी से करते सामना
जिनको है लाचार जनता की फिकर 
रह गये हैं लोग ऐसे चंद से 

Sunil_Telang/20/09/2012

Wednesday, September 19, 2012

HAAR JEET


हार-जीत 


ये ज़िन्दगी हसीँ  है, हँस के गुज़ारिये
हर रोज़ आईने में खुद को संवारिये

नज़रें हों आसमां पे, पर पाँव हों ज़मीं  पर
दिल में जो "मैं" छुपा है,उसको बिसारिये

अपनी नज़र में अपना आदर्श खुद ही बनिये
क्यों दूसरों को अपने दिल में उतारिये 

आसान नहीं होता दुनिया से अलग चलना
फिर भी नयी डगर पर कुछ नक्श उभारिये 

कुछ लोग हार कर भी,  दिल जीतते हैं अक्सर
मिलती हो गर ख़ुशी तो ,हर रोज़ हारिये


Sunil_Telang/19/09/2012


Tuesday, September 18, 2012

YAA KHUDA




या ख़ुदा 

या ख़ुदा  हमको  दिखा  दे  राह कोई
हम से  ना  हो पाये अब गुनाह कोई

क्रोध पर काबू रखें  कुछ ऐसा  वर  दे 
और तो बाकी नहीं है चाह कोई

माफ़ कर देना अगर अपने करम से 
फिर किसी के लब  पे आये आह कोई 

हो सके तो झोलियाँ उनकी भी भर दे 
जिनकी अब तक ना हुई परवाह कोई

बख्श देना पाप उनके जो हैं नादां
तेरी  रहमत की नहीं है थाह कोई 

Sunil_Telang/18/09/2012

Monday, September 17, 2012

AAWARGI




आवारगी 

बोझ से है भरी ज़िन्दगी
है किसी से डरी  ज़िन्दगी

फिरते हैं लोग चारों तरफ
फिर भी है अजनबी ज़िन्दगी

खुद से भी कुछ पशेमां हैं हम 
बन गयी बेबसी ज़िन्दगी

ढूंढती है ना जाने किसे
मेरी आवारगी ज़िन्दगी

उम्र गुजरी तड़पते हुए
आंसुओं की नदी ज़िन्दगी

जिसने जीता हो खुद को कभी
बस उसी को मिली ज़िन्दगी 
                                              (पशेमां -शर्मिंदा  )
Sunil_Telang /17/09/2012

Saturday, September 15, 2012

KAISA AAYA DAUR


कैसा आया दौर 

डीज़ल के सरकार ने बढ़ा दिये हैं दाम 
कमर तोड़ मंहगाई में जीना हुआ हराम
समझ न आये हमें, करें अब कहाँ कटौती
सबकी ख्वाहिश, काश.. ऊपरी  इनकम होती 
दिन पर दिन सरकार जेब पर डाले डाका
आया है फिर दौर साइकिल और रिक्शा का 

गैस सिलिंडर पर हुई तय सीमा इस बार
हुई फिक्रमंद गृहणियां करतीं सोच विचार 
फिर से ढूंढो चूल्हा , कोयला और अंगीठी
खानी होगी रोटी , जली हो या हो चीठी
दिन का चैन उड़ा ,रातों की नीदें खोई
मोड्यूलर ये किचेन हाय फिर बना रसोई

Sunil_Telang/15/09/2012

PAD YAATRA



पदयात्रा 

सरकार का ये फैसला सबको रुला गया
अट्ठारवीं सदी का फिर वक़्त आ गया

डरने की कोई बात नहीं मत करो फिकर
हमने लिया ये फैसला कुछ सोच समझकर
वाहन को अपने घर में ही रखना सजा के
सड़कों पे रोज़ हो ट्रेफिक जाम बेअसर

अब वाहनों को घर में आराम दीजिये
बस साइकिल ओ रिक्शे से काम लीजिये
सेहत रहे सलामत दुर्घटना से बचोगे
पद यात्रा सबेरे और शाम कीजिये

Sunil_Telang/15/09/2012

Friday, September 14, 2012

KABHI NA KABHI




कभी ना कभी

मुझे तुम मिलोगे कभी न कभी
नहीं कोई रस्ता, मगर है यकीं

तुम्हें देखे यूँ एक अरसा हुआ
ये चाहत मगर फिर भी कम ना हुई

किया तुमने दिल पे कुछ ऐसा असर
नज़र आते हो बस तुम्ही हर कहीं

ये सावन की रुत, ये बहार, ये समां
बुलाते हैं  तुमको मेरे हमनशीं

खयालों में, ख़्वाबों में आते हो क्यों
अगर तुमको मुझसे मोहब्बत नहीं

कभी तो सुनोगे मेरा हाल-ए- दिल
तेरी आस में है मेरी ज़िन्दगी

Sunil_Telang/14/09/2012

हिन्दी




 हिन्दी 

हर सुबह Good Morning  को छोड़कर
शुभ दिवस , शुभ रात्रि को बोलकर
संस्कृति ये देश की हम आजमायें
हर जगह हिन्दी  का हम गौरव बढायें 

सुनील_तैलंग

Thursday, September 13, 2012

KAALIMA




Kaalikhon ki kaalima charon taraf chhaane lagi hai
Sharm har ik shakhs ko is desh me aane lagi hai

कालिमा 

कालिखों की कालिमा चारों तरफ छाने लगी है 
शर्म अब हर शख्स को इस देश में  आने लगी है

क्या यही वो देश है जिस पर भुवन को नाज़ था 
जो कला और सभ्यता में विश्व का सरताज था
लग गई किसकी नज़र जो कहर बरपाने लगी है

भूल कर बैठे उन्हें  ये  डोर शासन की थमा कर
हक़ जमा बैठे जो अपना  देश की हर संपदा पर 
असलियत अब देश को उनकी नज़र आने लगी है 

अब रहा  ना शर्म और इज्ज़त  से कोई वास्ता 
आम जनता को नहीं दिखता है कोई रास्ता
पांच बरसों की अवधि कुछ और तड़पाने लगी है 

देखना बस ये  घड़ा अब भर चुका है पाप का
एक दिन होगा असर उन पर दुआ और शाप का  
जागरूकता की  कवायद  रंग अब लाने लगी है 

Sunil_Telang/13/09/2012

Wednesday, September 12, 2012

HAMAM


हमाम

कितनी बेशर्मियों से भरा है हमाम
आप क्यों कपडे पहने हुये  आ गये
मस्त हैं खेल में वो करें क्यों फिकर
आप तो आज खुद से ही शरमा  गये 

Sunil_Telang/11/09/2012







ZINDAGI


ज़िन्दगी


ज़िन्दगी से ना करना शिकायत कभी
जैसी भी हो, है आखिर तेरी ज़िन्दगी 

ज़िन्दगी देके अहसान रब  ने किया
तुझको खुशियाँ मनाने  का मौका दिया 
तूने  अपनाये ग़म , भूलकर हर ख़ुशी

ख्वाहिशों ने किया तुझपे कैसा असर 
जो मिला तुझको पूरा न आया नज़र 
तेरे रुख पे कभी आ ना पाई हँसी 

किसकी खातिर परेशान है  ज़िन्दगी 
सिर्फ दौलत से मिलती नहीं है ख़ुशी 
पास है जो तेरे, ये भी कम तो नहीं 

ज़िन्दगी में निराशा न लाना कभी  
ये है अनमोल, मत भूल जाना कभी 
कितने लोगों का सपना तेरी ज़िन्दगी 

Sunil_Telang/12/09/2012


  


Tuesday, September 11, 2012

DARD DIL




दर्द दिल

जीते हैं दर्द दिल में,  छुपाये हुये
बरसों हुये हैं हमको, मुस्कुराये हुये

तुम क्या गये कि खुशियाँ, भी साथ ले गये
कोई नहीं है अपना, सब पराये हुये

मिलना जवां दिलों का, मंज़ूर नहीं सबको
रस्म-ओ-रिवाज़ किसके, हैं बनाये हुये

ये हाल-ए-दिल हमारा, सुनता नहीं है कोई
मिलते हैं लोग दुनिया के, सताये हुये

गुजरेंगे वो भी शायद, इक दिन मेरी गली से
बैठे हैं हम चिरागों को, जलाये हुये

Sunil_Telang/11/09/2012