मकसद
ज़िन्दगी का अब कोई मकसद बनाओ
हाथ में आया सुअवसर ना गंवाओ
अपने अपने फायदे की फ़िक्र सबको
दूसरों के ग़म को भी अपना बनाओ
उसका अनशन तुमको लगता है तमाशा
एक दिन भूखे ज़रा रह के दिखाओ
वो भी इक इंसान है रब तो नहीं है
भूल कर कमियाँ यकीं उस पर दिखाओ
तेरी मंजिल देखती है राह तेरी
एक दिन भय से ज़रा निजात पाओ
AAP का गर साथ हो फिर बात क्या है
इक नयी शम्मा अँधेरे में जलाओ
Sunil _Telang
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