जब तक हैं हाथ
ये महलो शानो - शौकत अपनी नहीं ज़रुरत
दो रोटियां मिलें तो हम अपना पेट भर लें
तन ढाँकने को कपडा और सर पे छत का साया
मिल जाये बस तो फिर हम दुनिया की भी खबर लें
इतने बड़े जहां में खुद का नहीं ठिकाना
परिवार क्यों बढा कर कुछ लोग दर्दे-सर लें
बेकारी और ग़रीबी किस्मत नहीं हमारी
जब तक हैं हाथ कायम इज्ज़त से जी लें मर लें
Sunil_Telang/28/05/2013
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