BAHSHEEYAT
बह्शीयत
जो हुआ अच्छा नहीं था सबको ग़म है
हादसा ये देख सबकी आँख नम है
है हताशा और दमन का ये नतीजा
क्यों हुआ इंसान इतना बेरहम है
ये ज़माने के सताये लोग अपराधी नहीं
लड़ रहे हैं न्याय की खातिर ये उन्मादी नहीं
आज हिंसा पे उतारू हो गये हैं क्यों यहाँ
बन गई क्यों बह्शीयत जो इनका ग़म है
Sunil_Telang
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