मजाल
सुनो उमर का भी अपनी ज़रा ख़याल करो
यूँ बुढ़ापे में देश का न ऐसा हाल करो
बहुत मिला है तुझे उम्र भर कमाने को
मगर अभी भी तू तैयार बैठा खाने को
कहाँ ले जायेगा, खुद से कभी सवाल करो
तरस रहे हैं लोग कितने रोटियों के लिये
तुझे फिकर ना हुई,वो कभी मरे या जिये
किसी का छीन के हक ना उन्हें बेहाल करो
किसी के बंधनों में भी तू कैसे जीता है
हो के आज़ाद, गुलामी का ज़हर पीता है
कभी तो दिल की सदा सुनने की मजाल करो
Sunil_Telang/11/05/2013
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