Saturday, May 11, 2013

MAZAAL




मजाल 

सुनो उमर का भी अपनी ज़रा ख़याल करो 
यूँ बुढ़ापे में देश का न ऐसा हाल करो 

बहुत मिला है तुझे उम्र भर कमाने को 
मगर अभी भी तू तैयार बैठा खाने को 
कहाँ ले जायेगा, खुद से कभी सवाल करो 

तरस रहे हैं लोग  कितने रोटियों के लिये
तुझे फिकर ना हुई,वो कभी मरे या जिये 
किसी का छीन के हक ना उन्हें बेहाल करो 

किसी के बंधनों में भी  तू कैसे जीता है 
हो के आज़ाद, गुलामी का ज़हर पीता है 
कभी तो दिल की सदा सुनने की मजाल करो 

Sunil_Telang/11/05/2013

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