खुदाई
पूछ अपने आप से इक बार, भाई
क्या हिकारत और ग़रीबी तुझको भायी (हिकारत-Insult)
कब तलक ये झोपडी और चारपाई
क्यों नहीं लड़ता है तू मिलकर लड़ाई
इस ज़मीं पर, हर कोई जब है बराबर
क्यों ग़रीबों और अमीरों में है अंतर
कब तलक डाका डलेगा तेरे हक पर
ये दमन की नीतियां किसने बनाई
जाग, अपनी अहमियत पहचान ले तू
तेरा भी अस्तित्व है ये मान ले तू
दो घडी के चैन और लालच के बदले
तूने अपने वोट की कीमत लगाईं
खोल आँखें कोई तेरे दर पे आया
"आप" ने तेरे लिये रस्ता बनाया
अब ना समझेगा कोई तुझको पराया
"आप" की तू थाम ले बस रहनुमाई (रहनुमाई-Leading)
"आप" के अब साथ है सारी खुदाई (खुदाई-World)
Sunil_Telang/21/05/2013
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