Saturday, May 25, 2013

HE MANMOHAN



हे मन मोहन 

बदल गया है ज़माने का चलन                   
किस मुंह से गायें हम जन गण मन 

भावना देश प्रेम की ना रही 
घर में मेहमां बन के बैठे दुश्मन 

नाते  रिश्ते  भी सब बोझ बने 
दूर  हुये  अपने अपनों के कारन 

भाग दौड़ जारी है चारों तरफ 
इज्ज़त की बात हुआ काला धन 

हम भी चुपचाप देखते है बस 
कुछ तो बोलो जुबां से हे मन मोहन 

Sunil_Telang





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