Saturday, May 18, 2013

AAM AADMI


आम आदमी

तुम हो इक आम आदमी, डरते रहो 
रात दिन अपनी फिकर , करते रहो 

जिंदगी  में   सैकड़ों   ग़म   हैं  यहाँ 

सोचने   के   वास्ते   हम   हैं   यहाँ 
तुम   यूँ   ही जीते  रहो, मरते  रहो 

दीन दुनिया  की तुझे है फ़िक्र क्यों 

लब  पे भ्रष्टाचार  का  है ज़िक्र क्यों 
जो  मिला है उस से दम भरते रहो 

तुम हो जनता, नापो अपना रास्ता 

राजनीति   से   तेरा   क्या  वास्ता 
आँख   में  चाहे   लहू    भरते  रहो 

कब  तलक  बेबस  रहे  आम आदमी 
ज़ुल्म को कब तक सहे आम आदमी 
जग  गया तो ख़ास है  आम आदमी 
देश  का   विश्वास  है   आम आदमी 

Sunil_Telang/18/05/2013











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